मिस्र में पिछले 30 सालों से शासन कर रहे राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को हटाने और लोकतंत्र स्थापित करने की मांग को लेकर पिछले आठ दिनों से मिस्त्र एक आग की तरह जल रहा है. राजधानी काहिरा से शुरु हुआ यह जन-आंदोलन अब पूरे मिस्त्र में फैल चुका है. मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक की तानाशाही के खिलाफ मिस्त्र की जनता में फैली अशांति और विद्रोह की तपिश को अब विश्व के अन्य हिस्सों में भी महसूस किया जा रहा है.
मिस्त्र में पिछले आठ दिनों से हो रहे विरोध प्रदर्शन में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हो चुके है. ट्यूनेशिया से प्रेरित होकर किए गए इस हिंसात्मक प्रदर्शन के खिलाफ मिस्त्र सरकार बेहद कडाई से निपट रही है. सड़कों पर हथियारबंद जवानों के साथ लड़ाकू तोपों भी गश्त लगा रही है पर जनता का आक्रोश किसी भी सीमा को पार करने के लिए तैयार है. सड़को पर लोग अपने अपने घरों से बाहर निकलकर एकता के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे है. सरकारी गाडियों और भवनों को विद्रोही निशाना बना रहे है.
काहिरा और अन्य शहरों में तीव्र विरोध प्रदर्शन हो रहा है जिससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गई है। सशस्त्र व्यक्तियों के गिरोह हजारों कैदियों को रिहा कराने में मदद कर रहे हैं तथा लुटेरे मॉल, बैंकों और गहनों की दुकानों को लूट रहे हैं। मौके का फायदा उठाते हुए सशस्त्र गिरोहों ने अलेक्जांद्रिया और अस्वान सहित चार जेलों में सुरक्षा प्रहरियों को गोली मार कर हजारों कैदियों को रिहा कराने में मदद की। सबकी एक ही मांग है और वह है असली लोकतंत्र चाहते हैं जहां राष्ट्रपति के अधिकार सीमित हों.
गौरतलब है कि मिस्त्र में सेना और तानाशाह का मिला जुला रुप है और वहां के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक सेना की ताकत की वजह से अबतक राष्ट्रपति के पद पर बने हुए है. उन्होंने देश में गर्माए माहौल को शांत करने के लिए कई अहम कदम भी उठाएं. मिस्र में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने प्रदर्शनों के बाद गुप्तचर शाखा के उमर सुलेमान को उपराष्ट्रपति नियुक्त किया लेकिन काहिरा की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों पर इसका शायद ही कोई प्रभाव पडा है. और साथ ही साथ उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी किसी को बैठाने का निर्णय लिया है पर जनता का आक्रोश इससे भी कम होने का नाम नहीं ले रहा.
हुस्नी मुबारक राष्ट्रपति के पद से हटने के लिए पहले ही मना कर चुके है ऐसे में देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक सेना के भरोसे हुस्नी जनता के आक्रोश को दबा पाते है. मिस्त्र में लोकतंत्र की मांग ने अन्य हिस्सों में भी जहां लोकतंत्र की बहाली नहीं है वहां चिंगारी फैलाने का काम किया है. चीन ने तो अहतियातन अपनी इंटरनेट सेवाओं और समाचार सेवाओं पर मिस्त्र की खबरें दिखाने पर रोक लगा दी है और अन्य देशों ने भी कई अहम कदम उठाए है.
जलती विद्रोह की इस आग में मिस्त्र न जानें कब तक जलेगा और न जानें कितने जीवन दीपक बुझेंगे.
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