आखिरकार वह बहुप्रतिक्षित फैसला आ ही गया जिसका बरसों से इंतजार था. गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की घटना पर स्पेशल कोर्ट ने 31 दोषियों में से 11 को फांसी की सजा सुना दी. बाकी 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. अपने फैसले में अदालत ने माना कि साल 2002 में हुए गोधरा कांड के पीछे एक साजिश थी, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था. इस गोधरा कांड को मानवीय क्रूरता का सबसे कठोर उदाहरण माना जाता है जहां इंसान ने अपनी इंसानियत को परे रखकर हैवानों से भी बुरा काम किया था.
मामला है वर्ष 2002 का. 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन की एस-6 कोच में भीड़ द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इस मामले में कुल 1500 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
हालांकि इस कांड में आरोपियों की गिरफ्तारी बहुत ही जल्दी कर ली गई थी. मार्च 2002 में ही 54 आरोपियों के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की गई.
यह कांड अपने बदलते फैसलों की वजह से भी बहुत चर्चा में रहा. जहां वर्ष 2003 में इस केस पर किसी भी तरह की न्यायिक सुनवाई पर रोक लगा दी गई थी वहीं 2004 में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश यू. सी. बनर्जी की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया गया. इस समिति के गठन के पीछे राजनीतिक तत्वों का हाथ था. लालू प्रसाद ने मुस्लिम वोट बैंक को बढ़ाने के लिए गोधरा कांड पर यू. सी. बनर्जी समिति का गठन किया था. समिति ने साफ शब्दों में कह दिया कि साबरमती ट्रेन में लगी आग एक हादसा मात्र थी. इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी.
लेकिन वर्ष 2008 में एक बार फिर गोधरा कांड के लिए एक और समिति का गठन किया गया. नानावती आयोग को गोधरा कांड की जांच सौंपी गई और नानावती आयोग ने अपनी जांच में कहा कि यह पूर्व नियोजित षड्यंत्र था और एस6 कोच को भीड़ ने पेट्रोल डालकर जलाया.
अब पूरे 9 साल और 2 दिन बाद गोधरा कांड पर विशेष अदालत का फैसला आ गया है. मुजरिमों को या तो मौत की सजा दी गई है या फिर उम्र कैद की. लेकिन क्या यह फैसला सही है? क्या फैसला आने में देर नही हुई? क्या इतनी हीलहुज्जत के बात आया यह फैसला अराजक तत्वों में डर पैदा करने में कामयाब होगा जिससे फिर कोई गोधरा दोहराया ना जाय.
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