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किरण बेदी: हौशलों की ऐसी उड़ान

इन दिनों हर तरफ अन्ना हजारे ही छाए हुए हैं. अन्ना और उनकी टीम हर न्यूज चैनल के हॉट फेवरेट बने हुए हैं. लेकिन अन्ना हजारे के साथ उनकी टीम के सदस्यों में एक ऐसा चेहरा भी है जिसे लोग नारी-सशक्तिकरण की प्रतिमा मानते हैं और वह हैं किरण बेदी. कभी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को गलत पार्किंग करने के जुर्म में उठवा लेने वाली किरण बेदी ने अपने जीवन में कभी किसी चीज से हार नही मानी. आत्मसम्मान और स्वाभिमान से लबरेज किरण बेदी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने समाज में महिलाओं की पारंपरिक छवि को बदलकर आगे निकलने की कोशिश की और सफल भी रहीं. बेदाग पुलिस कॅरियर के साथ समाज सेवा में अपना समय लगाने के कारण ही आज देश की जनता में उनकी अच्छी खासी पकड़ बनी हुई है.


Kiran Bedi Profile in hindi किरण बेदी की प्रोफाइल

किरण का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. किरण श्रीमती प्रेमलता तथा श्री प्रकाश लाल पेशावरिया की चार पुत्रियों में से दूसरी पुत्री हैं.


किरण बेदी की शिक्षा

किरण बेदी की प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर के सैक्रेड हर्ट कॉन्वेंट स्कूल (Sacred Heart Convent School) में हुई. यहीं उन्होंने एनसीसी में प्रवेश किया था. बचपन में उन्हें टेनिस का बहुत शौक था. उन्होंने बचपन में कई टेनिस प्रतियोगिताएं भी जीती थीं जिसमें साल 1966 का जूनियर नेशनल लॉन टेनिस चैंपियनशिप और 1972 का एशियन लॉन टेनिस चैंपियनशिप शामिल हैं.


इसके बाद साल 1966 से 1968 तक उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर (Government College for Women, Amritsar) से अंग्रेजी साहित्य ऑनर्स में स्नातक और इसके बाद पंजाब यूनिवर्सीटी से सन् 1968-70 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की.


Kiran Bedi IPS किरण बेदी और पुलिस सेवा

वर्ष 1972 में श्री ब्रिज बेदी से उनकी शादी हुई. इसी साल से उन्होंने अमृतसर कॉलेज में लेक्चर के तौर पर काम करना शुरू किया. लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था और फिर उसी साल उन्होंने अपनी सेवा भारतीय पुलिस में शुरू किया था. किरण बेदी ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चुने जाने के बाद नौकरी करते हुए भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और सन 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से क़ानून में स्नातक की उपाधि हासिल की. किरण बेदी ने राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नई दिल्ली से 1993 में सामा‍जिक विज्ञान में ‘नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा’ विषय पर शोध पर पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की.


kiran Bedi in Policeकिरण बेदी द्वारा संभाले गए पद

भारतीय पुलिस सेवा में पुलिस महानिदेशक (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के पद पर पहुंचने वाली किरण एकमात्र भारतीय महिला थीं, जिसे यह गौरव हासिल हुआ. किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस के कई अहम पदों पर कार्य किया है. समय-समय पर उनका विभाग बदलता रहा पर उनके कार्य करने की कुशलता कभी कम नहीं हुई. किरण डीआईजी चंडीगढ़, गवर्नर की सलाहकार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डीआईजी तथा यूनाइटेड नेशन्स में एक असाइनमेंट पर भी कार्य कर चुकी हैं. जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग, स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स जैसे कई अहम पदों पर भी वे रह चुकी हैं. इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़ के तौर पर उनके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से ही आज तिहाड़ जेल में इतना सुधार है.


किरण बेदी के महत्वपूर्ण कार्य

नई दिल्ली की ट्रैफिक कमिश्नर बनने के दौरान किरण बेदी ने पार्किंग वाइलेशन करने पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को भी नहीं बक्शा. किरण ने कानून को सभी नागरिकों के लिए समान मानते हुए अपना कर्तव्य निभाते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को भी क्रेन से उठवा दिया. तब लोगों ने उनको किरण बेदी की जगह क्रेन बेदी कहना शुरू कर दिया था.


दिल्ली में पुलिस आयुक्त के अपने कार्यकाल में उन्होंने तलवारें लहराती भीड़ का अकेले ही सामना करके देश भर में यह संदेश दे दिया था कि किसी ईमानदार अधिकारी को भीड़ और गुंडा तंत्र के दम पर नहीं डराया जा सकता.


साल 1993-95 में दिल्ली स्थित भारत की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में तैनाती के समय सुधारात्मक क़दम उठाते हुए किरण बेदी ने अपनी एक अलग धाक बना ली थी. जब किरण बेदी को 7,200 कैदियों वाली ‍तिहाड़ जेल का महानिरीक्षक बनाया गया तो उन्होंने वहां एक नया मिशन चलाया. इसके अंतर्गत उन्होंने कैदियों के प्रति ‘सुधारात्मक रवैया’ अपनाते हुए उन्हें योग, ध्यान, शिक्षा व संस्कारों की शिक्षा देकर जेलों में बंद कैदियों की जिंदगी में सुधार लाने की एक नई हवा बहाई थी. यह बहुत कठिन लक्ष्य था किंतु दृढ़निश्चयी किरण बेदी ने तिहाड़ जेल का नक्शा बदलकर उसे तिहाड़ आश्रम बना दिया. इसके लिए किरण बेदी को आज भी जाना जाता है.


kiran-bediकिरण बेदी की रिटायरमेंट

अपने जीवन में हमेशा कानून को सर्वोपरि मानने वाली किरण बेदी ने पुलिस सेवा से साल 2007 में इस्तीफा दिया था. लेकिन उनके जाने में भी देश में फैले भ्रष्ट सिस्टम का हाथ था. दिल्ली के उपराज्यपाल ने किरण बेदी को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाए जाने की सिफारिश की थी किंतु गृह मंत्रालय किरण बेदी के स्थान पर वाई. एस. डडवाल को यह पद देने के पक्ष में था. 1972 के बैच की किरण बेदी के स्थान पर 1974 बैच के वाई. एस. डडवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया, जिससे क्षुब्ध होकर स्वाभिमानी किरण बेदी ने वी.आर.एस. (स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) ले लिया. 26 दिसंबर, 2007 को उन्होंने पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृति ली. उस समय वे भारतीय पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक पद पर थीं.


किरण बेदी ने नौकरी करते हुए समाजसेवा में भी अपनी दिलचस्पी दिखाते हुए दो समाजसेवी संगठनों की स्थापना की. साल् 1987 में किरण बेदी ने नवज्योति तथा 1994 में इंडिया विजन फाउंडेशन नामक संस्थानों की शुरुआत की. इनके माध्यम से उन्होंने नशाखोरी पर अंकुश लगाने तथा गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करने जैसे काम शुरू किए जो आज भी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं.


किरण बेदी हमेशा कार्य करने में ही विश्वास रखती हैं और बिना किसी की परवाह किए काम करना पसंद करती हैं. किरण बेदी की ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के कारण उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर कई पुरस्कार भी मिले. इन पुरस्कारों में 1979 में प्रेसीडेंट गैलेंट्री अवार्ड, 1995 में महिला शिरोमणि अवार्ड और 2002 में इटली का वीमेन ऑफ दी ईयर अवार्ड भी शामिल हैं. इन सभी पुरस्कारों के अलावा किरण बेदी को सराहनीय सेवा के लिए सन 1994 में एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाने वाला ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ (Ramon Magsaysay Award Foundation) से भी नवाजा गया. सन 2005 में किरण बेदी को ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की उपाधि से सम्मानित किया गया.


आज किरण बेदी दिल्ली पुलिस में ना होकर भी सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. अन्ना हजारे की टीम की अहम सदस्य होने के नाते वह खुद समय-समय पर मीडिया और जनता से रूबरू होती हैं. अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति के रूप में किरण बेदी को लोग वर्षों तक अपनी यादों में रखेंगे.

चित्र साभार: गूगल.

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