जयप्रकाश नारायण जैसे महान व्यक्ति के जन्मस्थल से अपनी रथयात्रा आरंभ करने वाले लाल कृष्ण आडवाणी का नारा “सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत” तो समझ आता है लेकिन शायद आडवाणी जी यह भूल गए कि जयप्रकाश नारायण ने कभी राजनीति से मोह नहीं रखा और इसीलिए उनकी जन्मस्थली से रथयात्रा शुरू करना कुछ अजीब सा लगता है. खैर जो भी हो आडवाणी जी के रथप्रेम की वजह से 40 दिनों की यह यात्रा 23 राज्यों और चार केंद्र शासित राज्यों के करीब 100 जिलों से होकर गुजरेगी.
आडवाणी इससे पहले भी पांच बार रथ यात्रा कर चुके हैं जिसमें से कुछ सफल तो कुछ औसत और कुछ तो सुपर फ्लॉप हुई थी. इस बार उनका नारा है “जन चेतना रथ यात्रा” यानि लोगों को जागरुक करेंगे और जागरुकता होगी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ. बिहार के सिताबदियारा से प्रारंभ इस यात्रा के दौरान आडवाणी प्रतिदिन कम से कम 300 किलोमीटर की यात्रा करेंगे और तीन बड़ी जनसभाओं को संबोधित करेंगे. यात्रा के दौरान आडवाणी भ्रष्टाचार, महंगाई और गरीबी के मुद्दे उठाने के साथ ही विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने जैसे मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाएंगे.
जयप्रकाश की मिट्टी से होगी राजनीति !
जिस सिताबदियारा से आडवाणी जी अपनी रथयात्रा शुरू करने जा रहे हैं दरअसल वहां पर वह सुविधाएं ही नहीं हैं जिससे आडवाणी जी रथयात्रा की शुरूआत कर सकें. सिताबदियारा जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि है और बिहार राज्य में उनके ही एक बडे अनुयायी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं और सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री लेकिन दोनों ही चेलों ने शायद जयप्रकाश के आदर्शों के साथ उनकी जन्मभूमि को भी अंधकार में छोड़ दिया है.
जिस सिताबदियारा से आडवानी जी अपनी महत्वाकांक्षी रथ यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं वहां ना तो पक्की सड़क है ताकि गाड़ियां चल सकें और ना ही बिजली पानी. रात के समय शून्य अंधेरा और पीने के नाम पर दो कुएं जो ना जानें कितने पुराने हैं. हां, लेकिन अगर कुछ है तो यहां के लोगों में आत्मविश्वास और आत्म सम्मान जो इन्हें किसी भी सरकार के आगे झुकने नहीं देता. इनका कहना है अगर सरकार मदद करेगी तो ठीक नहीं तो हम खुद ही अपना विकास करेंगे. गांव में आठवीं कक्षा से आगे का स्कूल नहीं है, जो स्कूल है उसे गांव वाले ही चलाते हैं.
ऐसे में जब आडवाणी जी ने सिताबदियारा से अपनी रथयात्रा की शुरूआत करने की सोची तो कुछ खर्च इन गांव वालों पर करने का उपाय उनके दिमाग में नहीं आया. जिस “जन चेतना रथ यात्रा” की वह शुरूआत कर रहे हैं उस पर लाखों का खर्च होगा. अगर खर्च का 10 या 20 प्रतिशत भी सिताबदियारा के विकास में भाजपा ने लगाया होता तो पूरा सिताबदियारा शायद आडवाणी जी का प्रशंसक बन जाता.
आइए जानते हैं आडवाणी के हाइटेक रथ की कुछ खूबियां
नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘जन चेतना यात्रा’ में इस्तेमाल की जा रही बस आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ उच्च प्रौद्योगिकी से युक्त है.
तकरीबन 50 लाख के खर्चे वाली इस यात्रा की शुरूआत उस महानायक की जन्मभूमि से करना जहां के बच्चे आठवीं पास करने के बाद गांव से बाहर जाकर शिक्षा प्राप्त करने पर मजबूर हों, हास्यपद लगता है. आडवाणी जी का उद्देश्य तो सही है पर शायद अब वह परिस्थितियों का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं. आडवाणी जी को समझना होगा कि जमीनी सच्चाई और कागजी सच में बहुत अंतर होता है.
Read Comments