भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने बिहार से अपनी रथयात्रा शुरू कर ही दी. आडवाणी की 40 दिनों की यह यात्रा 23 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 100 जिलों से होकर गुजरेगी. इस यात्रा के दौरान आडवाणी प्रतिदिन कम से कम 300 किलोमीटर की यात्रा करेंगे और तीन बड़ी जनसभाओं को संबोधित करेंगे. लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब आडवाणी ने रथयात्रा के सहारे भाजपा को राजनीति में लाने का सपना देखा है.
आइए एक नजर डालते हैं आडवाणी की रथयात्राओं पर
1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा: कई लोग इस रथयात्रा को बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने का कारण मानते हैं लेकिन जो ऐसा समझते हैं वह आडवाणी के राजनीतिक पहलू को भूल जाते हैं. आडवाणी ने पहली बार वर्ष 1990 में रथयात्रा की थी. उस समय की रथयात्रा आडवाणी की सबसे सफल रथ यात्राओं में से एक मानी जाती है.
भव्य राम मंदिर निर्माण का लक्ष्य लेकर गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक 25 सितम्बर, 1990 को राम मंदिर निर्माण के नारे रथ यात्रा शुरू हुई लेकिन इस यात्रा के बाद वह राष्ट्रवादी आडवाणी आज तक नजर नहीं आए. हालांकि इस रथ यात्रा को देश को बांटने वाला बता दूसरे दलों ने विरोध किया. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें समस्तीपुर जिले में गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के कारण आडवाणी की यह रथ यात्रा अधूरी रह गई पर जो वह करना चाहते थे वह पूरा हो गया.
1997 की स्वर्ण जयंती रथ यात्रा : इतिहास खुद को दुहराता है और इस रथ यात्रा ने यह साबित भी कर दिया. आजादी के 50 साल पूरे होने पर आडवाणी जी ने इसका जश्न देश भर में रथयात्रा करके मनाया. इस यात्रा से आडवाणी की छवि एक राष्ट्रव्यापी जनाधार वाले नेता के तौर पर उभरी. माना जाता है इस रथ यात्रा से पार्टी को भी अच्छा खासा फायदा हुआ. पार्टी पहली बार 1998 में केंद्र में गैर कांग्रेसी पार्टियों की गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही.
2004 की ‘भारत उदय‘ यात्रा: आडवाणी की यह तीसरी यात्रा किसी भ्रष्टाचार या पार्टी की नींव मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि अपनी पार्टी की खूबियां गिनवाने के लिए थी. हालांकि आडवाणी की इस रथ यात्रा का एक उद्देश्य एनडीए सरकार के लिए जनादेश मांगना भी था. पर यह रथयात्रा बुरी तरह फ्लॉप हो गई. तमाम एक्जिट पोलों के दावों के बावजूद आश्चर्यजनक रूप से भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की गठबंधन सरकार चुनाव हार गई.
2006 की भारत सुरक्षा रथ यात्रा: देश में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आडवाणी ने साल 2006 में ‘भारत सुरक्षा’ यात्रा निकाली जिसका मकसद कश्मीर की सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मुद्दे को सरकार तक पहुंचाना था. पर यह यात्रा बुरी तरह फ्लॉप हो गई.
2009 की जनादेश यात्रा: 2009 में हुए आम चुनाव में भाजपा ने आडवाणी को भावी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर लोकसभा का चुनाव लड़ा. आडवाणी की इस यात्रा को भाजपा ने ‘जनादेश यात्रा’ का नाम दिया. इस यात्रा के दौरान आडवाणी ने महंगाई, भ्रष्टाचार, विदेशों में जमा काला धन आदि को मुद्दा बनाकर देश की जनता से एनडीए के लिए वोट मांगा.
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