अभी हाल ही में देश में दुनिया के सबसे महंगे खेल फॉर्मूला वन का आयोजन हुआ. देश-विदेश ने देखा कि किस तरह भारत ने दुनिया के सबसे मंहगे खेल का बेहतरीन तरीके से आयोजन किया. पर इन सब के बीच एक सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि महंगे खेलों का आयोजन होने के बाद और लगातार विकास पर चल रहे इस देश में आखिर गरीबी क्यूं बढ़ती जा रही है? आखिर क्यूं दिन ब दिन हमारे देश में गरीबों को भूखों मरने के दिन देखने पड़ रहे हैं? आखिर क्यूं इस देश में महंगाई से सब रो रहे हैं?
संयुक्त राष्ट्र का मानव विकास सूचकांक, जो यह बताता है कि किसी देश में जीवन स्तर किस दर्जे का है, में भारत लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है. जहां 2010 में भारत 169 देशों की सूची में 119वें स्थान पर था वहीं इस साल तो भारत 187 देशों की सूची में 134वें स्थान पर है. यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और आय संकेतकों में दीर्घकालिक प्रगति का आंकलन करता है.
संयुक्त राष्ट्र मानव विकास रिपोर्ट 2011 : स्थिरता एवं विषमता’ के अनुसार, भारत की स्थिति युद्धग्रस्त इराक और फिलीपींस सहित आर्थिक रूप से कम विकसित देशों से भी पीछे है.
दरअसल पिछले काफी समय से भारत की हालत लगातार गिरती जा रही है जिसकी वजह महंगाई भी है. अगर हम पिछले हफ्ते की ही बात करें तो खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 12.21 प्रतिशत पर पहुंच गई. पिछले काफी दिनों से दूध, दालों और पेट्रोल के दामों में लगातार वृद्धि की वजह से ऐसा हुआ.
आज एक आम आदमी अपने दैनिक खर्चे के बोझ में ही दबा जा रहा है. उसे आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिल रहा है. उसके ऊपर सरकार में बढ़ते भ्रष्टाचार की वजह से गरीबों को राहत राशि और सरकारी मदद नाम मात्र की मिल रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो हो सकता है विश्व पटल पर भारत की स्थिति दिन ब दिन और खराब होती चली जाए.
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