कभीचांदनी महल तो कभी ललिता पार्क और अब उत्तम नगर. दिल्ली में बीते कुछ महीनों से लगातार इमारतें गिरने की खबरें आती ही जा रही हैं. इस बार मौत के आगोश में समाए पश्चिम दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाले चार लोग. उत्तम नगर इलाके में अवैध रूप से बेसमेंट बनाने के लिए चल रही खुदाई से पड़ोस का तीन मंजिला मकान भरभराकर ढह गया. हादसे में तीन महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई और दो घायल हो गए. मकान के मलबे में और लोगों के दबे होने की आशंका है.
उत्तम नगर के जिस इलाके में यह घटना हुई वहां गलियां संकरी हैं और मकान बहुत ज्यादा हैं. घनी आबादी वाले इस इलाके में यूं तो मकान बनाने से पहले एमसीडी की परमिशन लेनी पड़ती है पर दिल्ली में हर काम जुगाड़ से हो जाता है.
कुछ ऐसे गिरा मकान
उत्तम नगर के डब्ल्यू-जेड ब्लॉक में दो सौ गज के प्लाट संख्या बी-5 के एक हिस्से (70 वर्ग गज) पर तीन मंजिला मकान में अशोक शर्मा, गगन शर्मा और रमेश शर्मा (तीनों भाई) परिवार के करीब 10 सदस्यों के साथ रहते थे. 130 वर्ग गज हिस्सा कुछ दिनों पहले शिव कुमार सौंधी व कृष्ण कुमार सौंधी ने खरीद लिया था. सौंधी बंधुओं का इस प्लॉट से सटा मेट्रो बैंक्वेट व रेस्तरां भी है. रेस्तरां के विस्तार के लिए प्लाट पर बने करीब 20 साल पुराने मकान को पिछले दिनों तोड़ दिया गया था. नए निर्माण के लिए अब बेसमेंट की खुदाई चल रही थी.
कहीं जाने के लिए गगन शर्मा मकान से बाहर निकल गली में पहुंचे तो अवाक रह गए. उन्हें अपना मकान ढहता प्रतीत हुआ. वह बचाओ-बचाओ की आवाज लगाते हुए परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए अंदर की ओर भागे, लेकिन जब तक कुछ कर पाते, पूरी इमारत गिर गई. हादसे में गगन की मां रूप रानी (60), पत्नी रिचा शर्मा (28) तथा बेटा जय (ढाई साल) की मौत हो गई.
जिस समय मकान गिरा, बेसमेंट की खुदाई के काम में मजदूर लगे हुए थे, इसलिए उनके भी मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही थी.
पहला मामला नहीं है यह
यह पहला मामला नहीं है जब दिल्ली में इस तरह से कोई इमारत गिरी हो. हर बार पास के मकान में खुदाई या बेसमेंट के काम की वजह से ही इमारतों को नुकसान हो रहा है. इस हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर विवश कर दिया है कि कहीं सच में दिल्ली अंदर से खोखली तो नहीं हो गई है.
इससे पहले नवंबर, 2010 में दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में एक बिल्डिंग गिरने से करीब 60 लोगों की मौत हो गई थी. यह हादसा बेहद दर्दनाक था. पांच मंजिला इस इमारत की नींव कमजोर थी जिसकी वजह से यह गिरी. पर इस इमारत के गिरने से कई घरों के दीपक बुझ गए. जहां यह हादसा हुआ वहां भी राहत और बचाव कार्य संकरी गलियों की वजह से समय पर नहीं हो पाया था.
सितंबर 2011 में पुरानी दिल्ली के चांदनी महल इलाके में एक तीन मंजिला इमारत गिरने से करीब 8 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हो गए थे. जाकिर के मकान के नाम से मशहूर यह इमारत 100 साल से भी पुरानी थी और इसके बगल में दूसरी बिल्डिंग बन रही थी. कुछ दिन से वहां नींव डालने का काम चल रहा था. इसी दौरान खुदाई के कारण इमारत गिर गई.
गलती किसकी ?
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे हादसों का आखिर जिम्मेदार कौन है? एमसीडी किसी भी इमारत या मकान को पैसे लेकर पास कर देती है. यह आम बात है. आपको चाहे मकान में बेसमेंट बनवाना हो या छज्जा बाहर निकालना हो हर गैर-कानूनी काम के लिए एमसीडी में टेबल के नीचे से पैसे देकर काम हो जाता है. एक बार नक्शा पास होने के बाद मकान का मालिक बिना आसपास की परेशानियों को सोचे बिना अपना काम शुरू कर देता है. अक्सर जब एक खाली मकान में खुदाई की जाती है तो उसकी वजह से उसके आसपास वाले मकानों को भी नुकसान होता है. बेसमेंट की खुदाई या नींव डालने के दौरान हुई गलतियां बेहद भयानक साबित होती हैं.
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