हर सरकार की कुछ खास बातें होती है. कभी कोई सरकार अपनी नीतियों के लिए जानी जाती है तो कभी कोई सरकार अपनी बेबुनियाद नीतियों की वजह से. इस बार की यूपीए सरकार उन सरकारों में से है जो अपने ऊपर कीचड़ उछलने की सूरत में पूरी मिट्टी ही साफ कर देती है. पिछले दिनों जब लोकपाल के फंदे में सरकार को फंसाने की कोशिश की गई तो यूपीए सरकार ने टीम अन्ना के एक-एक सदस्य की अच्छी तरह खबर ली. किसी को टैक्स की वजह से नोटिस भेजा तो किसी को अधिक भुगतान के लिए. हद तो तब हो गई जब टीम अन्ना के कुछ सदस्यों को उलटे सीधे मामले में ही कानूनी नोटिस भेज दिया. हसन अली जैसे टैक्स चोरों का तो सरकार कुछ कर नहीं सकती जिसने करोड़ों दबा लिए पर हां कुछेक हजार के लिए अन्ना टीम की हालत खराब कर दी.
और अब सरकार की टेढ़ी नजर गई है सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जहां सरकार की बहुत थू-थू हो रही है. चाहे लोकपाल आंदोलन की बात हो या फिर कांग्रेस से जुड़ा कोई भी मुद्दा उस पर जोक्स बनाना तो जैसे आजकल का शगल बन गया है. फेसबुक पर तो कांग्रेस के आला नेताओं का खूब मजाक उड़ाया गया है. और शायद इसी से आहत होकर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स को अपनी सामग्री पर नियंत्रण रखने की बात कही है और यह उन्होंने सीधे नहीं बल्कि धर्म की आड़ में कहा है.
इंटरनेट प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक सामग्री की निगरानी को लेकर जारी विवाद के बीच दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गूगल और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री की अपलोडिंग रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है. सोशल नेटवर्किंग साइटों पर देवी देवताओं और वरिष्ठ राजनेताओं के आपत्तिजनक चित्रण से चिंतित सरकार ने साफ किया कि इंटरनेट पर संवेदनाओं को भड़काने वाली ऐसी आपत्तिजनक सामग्री स्वीकार्य नहीं है.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर देवी-देवताओं की अश्लील फोटो डालने का मुद्दा पहले भी आता रहा है और इस पर सोशल नेटवर्किंग साइटस ने प्रशंसनीय कार्य भी किया है. जब भी धर्म से जुड़ी किसी चीज पर लोग गलत हरकत करते हैं तो सोशल नेटवर्किंगस साइटस उस पर जल्द ही नियंत्रण कर लेती हैं जैसे कि हाल ही में फेसबुक ने ऐसे कई पेजों को बंद किया जिन पर देवी-देवताओं के बारे में अश्लील बातें की गई थीं.
लेकिन पिछले काफी दिनों से सोशल नेटवर्किंग साइटस पर सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के बारे में कई अश्लील बातें की जा रही हैं. चूंकि यह किसी आम आदमी के विचार हैं इसलिए विचारों की अभिव्यक्ति के तौर पर इन्हें कोई भी सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं हटा रही हैं और यही सारे फसाद की जड़ है.
अब नेताओं को तो लोग चाय की दुकान पर, नुक्कड़ पर, सड़कों पर कई जगह गालियां देते हैं तो क्या सरकार कुछ दिनों बाद जगह-जगह बातचीत रिकॉर्ड करने वाली मशीन लगा लोगों को भी जेल में डाल देगी. सरकार को समझना चाहिए कि सोशल नेटवर्किंग साइटस आज भारत में आम आदमी के विचारों की अभिव्यक्ति का जरिया बन चुकी हैं और इनका साम्राज्य इतना बड़ा है कि इन्हें रोक पाना मुमकिन नहीं. ऐसे में सरकार के यह फैसले जनता को तानाशाही प्रतीत होंगे जिसका भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
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