शराब एक ऐसा नशा है जो इंसान को जिंदगी से दूर और मौत के करीब ला देता है. अगर इसे सही मात्रा में लिया जाए तो दवा वरना सजा है. इंसान सब कुछ जानते हुए भी शराब के नशे में फंस अपनी जिंदगी बर्बाद करता आया है. लेकिन यह शराब ना सिर्फ लत बन जाती है बल्कि यह शरीर में जहर की तरह फैलती है. पर अगर शराब में कुछ खामियां हों तो नुकसान के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. आज लगता है इंसान की जान शराब से कम हो गई है.
देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक पश्चिम बंगाल में यूं तो हर साल ही नकली और जहरीली शराब से लोगों की मौत की खबरें आती थीं पर इस बार तो नकली शराब ने मौतों का विस्फोट किया है. इस विस्फोट में ना जाने कितने घरों के दीपक बुझ गए, कितने लोग बेसहारा हो गए, कई अनाथ हुए तो कई महिलाएं विधवा हो गईं. भारत के इतिहास में इससे पहले कभी भी ऐसी दुर्घटना से 158 लोगों की मौत नहीं हुई थी. 158 लोगों की मौत सिर्फ 158 लोगों को ही नहीं बल्कि उन पर आश्रित उन तमाम लोगों की जिंदगी को चोट दे गई जिनके सपने मरने वालों पर टिके थे. और यह सब हुआ उस शराब की वजह से जिसे कई लोग अपनी रात की टॉनिक मानते हैं.
नकली और विषैली शराब की जहर
जहरीली शराब के हमेशा के लिए सुला देने वाले नशे ने कई परिवारों से कमाने वाला पिता, घर का चिराग और कुछ घरों से तो मां भी छीन ली. कोलकाता से सटे डायमंड हार्बर इलाके में शुरू हुआ मौत का तांडव अब तक 158 लोगों को मौत की नींद सुला चुका है. मुंह बाये मौत का एक-एक करके जिंदगी को निगलने का क्रम जारी है.
मरने वाले मजदूर और अन्य छोटे तबकों के लोग थे. माना जा रहा है कि शराब बनाने के दौरान कुछ रसायनों की ज्यादा मात्रा मिल जाने से वह जहरीली हो गई. राज्य सरकार ने मृतक आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में एक बयान में कहा कि शराब के अड्डे का मालिक खोड़ा बादशाह फरार है. उसकी तलाश के प्रयास किए जा रहे हैं.
गर पहले संभले होते तो आज ना जाती जानें
हो सकता है यह खबर हमेशा की तरह खबर बन दब जाए पर उन 158 लोगों की मौत कभी चुप नहीं होगी. यह मौत रोकी भी जा सकती थी. पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हर साल नकली और अवैध रूप से बेची जाने वाली शराब से कई लोगों की जान जाती है पर सब जानते हैं कि शराब के व्यापारियों का पुलिस से कैसा दोस्ताना होता है. इसलिए इन शराब व्यापारियों पर कोई रोक नहीं लगाई जाती है. हां, ऊपर से दबाव होता है तो दुकान बंद करवा दी जाती है पर वह भी सिर्फ दिखावे के लिए. और फिर कुछ दिनों बाद फिर शुरू हो जाता है नकली शराब का गंदा खेल. नकली शराब अधिकतर रसायन से बनाई जाती है इसलिए जब इसे हाथ से बनाया जाता है तो यह डर रहता है कि कहीं कोई रसायन ऊपर-नीचे हो जाए तो वह जहरीली हो सकती है. पर शराब बनाने वाले हमेशा अपने फायदे के बारे में अधिक सोचते हैं, उन्हें दूसरों की जिंदगी और मौत से कोई लेना देना नहीं होता और यही वजह है कि देश में हर साल कई जानें विषैली शराब की वजह से जाती हैं.
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