Menu
blogid : 314 postid : 1349

क्या पास होगा लोकपाल बिल?

lokpal billतमाम कोशिशों और झंझटों के बाद उम्मीद की जा रही है कि 22 दिसंबर को लोकपाल बिल संसद के शीत्रकालीन सत्र में आ जाएगा लेकिन इसके बाद यह पास होता है या नहीं यह तो अभी कहना बेमानी होगा. लोकपाल बिल को लेकर कई मसलों पर सरकार में अनबन चल रही है जैसे प्रधानमंत्री का मसला हो या सीबीआई और ग्रुप सी को लोकपाल के दायरे में लाने का सभी पर सबकी राय अलग-अलग है. हालांकि सरकार, लोकपाल के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने के मूड में नहीं थी लेकिन अन्ना हजारे के अनशन का दांव कहीं फिर से बवाल ना पैदा कर दे इसलिए कांगेस बिल को इसी सत्र में लाना चाहती है.


किन मसलों पर है माथापच्ची

सदन का अंकगणित परख और अपनी ताकत का आंकलन कर चुकी सरकार ने तय किया है कि अन्ना के अनशन पर बैठने की तारीख 27 दिसंबर से पहले सरकारी लोकपाल विधेयक को संसद से पारित कराया जाएगा. यदि 22 दिसंबर तक नियत समय में यह नहीं हुआ, तो विशेष सत्र बुलाने की भी बात है.


रक्षा व आंतरिक सुरक्षा जैसे मसलों से जुड़े फैसलों को छोड़कर प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के सवाल पर यूपीए के भी कुछ दल राजी हैं. प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में कुछ शर्तो के साथ लाने के संकेत देकर सरकार ने इस मसले पर गतिरोध पहले ही खत्म कर दिया है. सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने पर सबसे ज्यादा पेंच और राजनीतिक कश्मकश है. ग्रुप सी को लोकपाल के दायरे में रखने को सरकार बिल्कुल राजी नहीं है.


अन्ना हजारे का हठ

कहते हैं अगर दूसरा आपकी बात सुन रहा हो और आप उसकी बात ना सुनें तो उसे हठी और जिद्दी कहा जाता है. आजकल अन्ना हजारे और उनकी टीम का भी यही हाल लगता है. उनकी टीम चाहती है कि जैसा लोकपाल वह चाहते हैं वैसा ही बने. उन्हें संसद और लोकपाल के लिए गठित स्टैंडिग कमेटी पर भी भरोसा नहीं है.


सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ तीन अहम विधेयकों के साथ-साथ लोकपाल को भी सदन में लाने की तैयारी कर चुकी है, लेकिन अन्ना को इसके प्रस्तावित मसौदे से नाराजगी है. और तो और अन्ना ने अब दुबारा अनशन की बात छेड़ दी है.


अन्ना ने इस दफा अनशन ही नहीं, बल्कि सरकार के शक्तिपीठ गांधी परिवार के खिलाफ ही सीधे मोर्चा खोल दिया है. सरकार और कांग्रेस इससे बिलबिलाई तो है, लेकिन पुराने अनुभवों को देखते हुए वह ज्यादा आक्रामक होने की बजाय टीम अन्ना के बयानों को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है. लोकपाल को संसद से पारित कर सरकार की कोशिश इस मामले को संसद बनाम अन्ना करने की है. वहीं टीम अन्ना भी हार मानने को तैयार नहीं है और वह जन लोकपाल बिल जिसमें सीबीआई और सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने का मुद्दा है, उसे ही आगे बढ़ाने में जुटी है.


अब देखना यह है कि क्या अन्ना हजारे को गलत साबित करने के लिए कांगेस अपने ऊपर ही पहरा बैठाती है या फिर से देश में राजनीतिक बवाल आएगा. अन्ना हजारे अगर अनशन करते हैं तो साफ है कि देश में वह जोश ना दिखे जो पिछली बार दिखा था.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh