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अब अन्ना हजारे को सबक सिखाएंगी सोनिया!

जी हां, अब तक आपने कांग्रेस आलाकमान की प्रमुख सोनिया गांधी को अपने भाषणों में बेहद धैर्य और मर्यादा में रहते देखा होगा. हमेशा कम बोलने वाली भारत की अप्रत्यक्ष महारानी ने अब अन्ना हजारे को सबक सिखाने की ठान ली है. पहले बेहद तीखे तेवरों में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के 125 सालों के इतिहास का हवाला देकर अन्ना हजारे को साफ कर दिया है कि अब अगर अन्ना लोकपाल को लेकर कुछ बवाल करेंगे तो उनका हश्र अच्छा नहीं होगा.


लोकपाल पर सरकार और कांग्रेस के बीच मतभेदों की खबरों को नकारते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने टीम अन्ना पर जैसे ही हमला बोला तो पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्रियों ने भी आक्रामक तेवर अपना लिए. कांग्रेस ने अन्ना हजारे और उनकी टीम को मर्यादा तो याद दिलाई ही साथ में यह भी कहा कि 125 साल के इतिहास में पार्टी को ताकत दिखाने कई आए और आकर चले गए.


अभी तक लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस और सरकार टीम अन्ना के बेहद दबाव में दिख रही थी. लेकिन सोनिया गांधी के एक बयान ने पूरी कांग्रेस का काया पलट दी. लोकपाल पर ठसक के साथ सोनिया ने यह भी एलान कर दिया कि मंगलवार को ही सरकार ने लोकपाल विधेयक को मंजूरी दी है जिसे संसद में पेश किया जाएगा और पारित कराया जाएगा. बाद में मीडिया से भी उन्होंने कहा कि लोकपाल और महिला आरक्षण के मुद्दे पर उनका संघर्ष जारी रहेगा. लोकपाल के साथ ही भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के लिए व्हिसिल ब्लोअर संरक्षण, मनी लांड्रिंग और विदेशी कंपनियों की ओर से भारतीय लोक सेवकों को रिश्वत देने जैसे तीन महत्वपूर्ण विधेयक भी जल्द ही पारित होने का एलान किया.


सोनिया गांधी का यह व्यवहार और सीधे इतने तीखे तेवर दिखाना साफ दर्शाता है कि कांग्रेस के अंदर अब खलबली कितनी बढ़ चुकी है. कांग्रेस अब अन्ना के अनशन को दुबारा नहीं झेल सकती है इसलिए वह चाहेगी कि पहले तो अन्ना अनशन करें ही नहीं और करें भी तो उन्हें रोक लिया जाए. हो सकता है इस बार अन्ना हजारे का वही हश्र किया जाए जो कुछ समय पहले रामदेव का किया गया था.


लेकिन इस सब के बाद अन्ना हजारे कैसे चुप रहते. उन्होंने भी सोनिया गांधी को सार्वजनिक बहस की चुनौती दी और उनसे स्पष्ट करने को कहा कि लोकपाल विधेयक किस प्रकार से मजबूत है. साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी के घर के बाहर गिरफ्तारी देने की भी बात की.


साल 2011 पूरी तरह लोकपाल के झमेले में फंसा रहा और अब साल के अंत में सरकार किसी भी तरह इसे पास करवाना चाहती है ताकि अगले साल उसे ज्यादा माथापच्ची ना करनी पड़े.


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