बड़ी विचित्र स्थिति है कि दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल यूं तो पश्चिमी देशों में अधिक होता है और हम सोचते हैं कि सेक्स, न्यूड, पोर्न जैसे शब्द वहां ही अधिक खोजे जाते होंगे लेकिन यह गलत है. हाल ही में मशहूर हुए इंटरनेट सर्च इंजन गूगल के सर्वे ने साफ कर दिया है कि भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे एशियाई देश सेक्स और अन्य सेक्स संबंधी शब्द तलाशने में पश्चिमी देशों से भी आगे हैं.
Pakistan top in Porn Search
इंटरनेट के बढ़ते चलन से पाकिस्तान का रूढि़वादी समाज भी अछूता नहीं रह सका है. सर्च इंजन गूगल ने इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान में इंटरनेट पर सबसे अधिक खोजा जाने वाला विषय ‘सेक्स’ ही है. और पाकिस्तान “सेक्स” शब्द सर्च करने में विश्व में सबसे आगे है.
पाकिस्तान में करीब 2 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर हैं. पाकिस्तान उन मुल्कों में शीर्ष स्थान पर है जहां लोग सर्च इंजन पर सेक्स संबंधी शब्दों को टाइप कर अपने मतलब की चीज बड़े जतन से ढूंढ़ते हैं. बताते हैं कि ‘हॉर्स सेक्स’, ‘डंकी सेक्स’, ‘रेप पिक्चर’, ‘रेप सेक्स’, ‘चाइल्ड सेक्स’, ‘एनीमल सेक्स’, ‘ डॉग सेक्स’ जैसे शब्द गूगल पर टाइप करके वांछित वेबसाइट तलाशने में पाकिस्तान के लोग दुनिया में सबसे आगे रहे.
भारत भी कम नहीं
इसके बाद नंबर आता है भारत का. भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या काफी अधिक है. भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में से काफी अधिक हिस्सा युवाओं और किशोरों का है और यही वह वर्ग है जो “सेक्स” जैसे शब्दों को सर्च करने में सबसे आगे है. सही मार्गदर्शन और सेक्स शिक्षा ना मिलने के कारण ही अधिकतर किशोर और युवा अपने मनोरंजन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.
भारत और पाकिस्तान की यह स्थिति साफ करती है कि एशिया के देश भी “सेक्स” और “पोर्न” के कितने दीवाने हैं. इसी तरह श्रीलंका और इंडोनेशिया भी “सेक्स” शब्द सर्च करने में आगे रहते हैं. लेकिन एशिया में आखिर ऐसी कौन सी वजह है जो यहां के इंटरनेट यूजर्स सेक्स के प्रति इतने दीवाने हैं?
दरअसल एशियाई देशों में सेक्स के प्रति लोग जागरुक तो हैं पर वह अपनी जागरुकता जगजाहिर नहीं करते. यहां लोगों में सेक्स के प्रति जिज्ञासा दिनो-दिन बढ़ती जा रही है. साथ ही यहां अब भी लोग रुढ़िवादी सोच के साथ ही जीते हैं. लेकिन रुढ़िवादी सोच के साथ अब एशिया के सभी देशों में युवाओं की भागीदारी अधिक बढ़ रही है. अब युवा सोच रुढ़िवादी सोच को भी बदल रही है. जो लोग पहले रुढ़िवादी थे और अब वह प्रगति की राह में आगे बढ़ना चाहते हैं तो वह भी कहीं ना कहीं सीखने के लिए इंटरनेट का ही सहारा लेते है. चूंकि उन्हें सही सेक्स शिक्षा का ज्ञान नहीं होता इसलिए वह इंटरनेट से इसकी खोज करते हैं. और धीरे-धीरे वह पोर्नोग्राफी के शिकार हो जाते हैं.
पोर्नोग्राफी एक नशा है जो अगर आपको एक बार लग गया तो आपको इसकी लत लग जाती है. नतीजन आप दिन-रात जब भी इंटरनेट पर बैठते हैं तो सेक्स जरूर सर्च करते हैं.
क्या यह सर्वे सही है?
ऐसे सर्वों की प्रासंगिकता पर भी बहुत बड़ा सवाल होता है. गूगल जैसी एजेंसियां अपने शक्तिशाली होने के भाव की भी इसी के द्वारा पुष्टि करवा लेती हैं. इस प्रकार के सर्वे का दूसरा उद्देश्य कहीं अधिक व्यापक और दूरगामी प्रभाव वाला है. यह एक प्रकार से पूरब और पश्चिम के बीच चल रहे सांस्कृतिक और सामाजिक वार का भाग है जहॉ पिछले कई शताब्दियों से पश्चिम ही अधिक आक्रामक और प्रभावी रहा है. पश्चिम की हमेशा से यही सोच रही है कि उसे पूरब की सभी विरासतों को तुच्छ बता कर अपने अहं की तुष्टि करनी है.
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