चिलचिलाती गर्मी हो या कड़ाके की ठंड, आइसक्रीम एक ऐसी चीज है जो हर मौसम में सदाबहार रहती है. हर वर्ग के लोगों की पसंद बन चुकी आइसक्रीम गर्मी में लोगों को तरोताजा करती है तो सर्दियों में ठंड का लुत्फ उठाने का मौका देती है. निश्चित तौर पर आइसक्रीम का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आ गया होगा लेकिन अगर आपको यह पता चले कि जिस चीज को आप आइसक्रीम समझकर खा रहे हैं वास्तव में वह आइसक्रीम है ही नहीं तो?
जी हां, हकीकत यही है कि खाने और देखने में बेहद स्वादिष्ट दिखने वाली आइसक्रीम असल में मिल्क फैट से नहीं बल्कि सब्जियों के फैट से बन रही है और भारत में यह कारोबार बड़ी तेजी से फलफूल रहा है. उल्लेखनीय है कि भारत में आइसक्रीम का कारोबार 18,000 करोड़ का है जिसकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी ऐसे मिलावटखोरों के हाथ में है.
आइसक्रीम खाने वाले ज्यादातर लोगों को तो इसका अहसास भी नहीं होता कि वह दूध से बना पदार्थ खा रहे हैं या सब्जियों का फैट. अगर आपको यह लग रहा है कि ऐसी मिलावट सिर्फ नॉन-ब्रैंडेड आइसक्रीम में ही हो सकती है तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिंदुस्तान यूनिलीवर की क्वालिटी वॉल्स, वाडीलाल, लाजा आइसक्रीम और क्रीम कैंडी जैसे नामी ब्रांड, कोन और कप में आइसक्रीम के बजाय फ्रोजन डेजर्ट बेचते हैं. इस मिलावट की शुरुआत सबसे पहले क्वालिटी वॉल्स ने की थी. बहुत ही कम समय में इस कंपनी ने आइसक्रीम निर्माण के क्षेत्र में एक मजबूत पकड़ बना ली है लेकिन फूड अथॉरिटी के अधिकारियों और अमूल एवं मदर डेयरी जैसी ऑरिजनल आइसक्रीम मेकर कंपनियों का मानना है कि आइसक्रीम के नाम पर फ्रोजन डेजर्ट बेचना ग्राहकों को गुमराह करना है.
असली आइसक्रीम दूध के फैट से बनती है, जबकि ऐसे फ्रोजन डेजर्ट सब्जियों के फैट से तैयार किए जाते हैं, जो करीब 80 पर्सेंट सस्ता पड़ता है. गुजरात फूड एंड ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन कमिश्नर एच.जी. कोशिया ने कहा, ‘जिस तरह फ्रोजन डेजर्ट की लेबलिंग होती है और जैसे टीवी कमर्शल के जरिए इसकी मार्केटिंग की जाती है, वह बड़ी चिंता का कारण है. कंज्यूमर्स को यह मालूम होना चाहिए कि दोनों अलग-अलग उत्पाद हैं. फिर उनकी मर्जी, वे जो चाहे चुनें.
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अमूल और मदर डेयरी जैसी कंपनियां आइसक्रीम के लिए सिर्फ डेयरी फैट का इस्तेमाल करती हैं. आइसक्रीम बाजार में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले अमूल का कहना है कि ये कंपनियां आइसक्रीम के दाम पर कंज्यूमर को फ्रोजन डेजर्ट खिला रही हैं. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (अमूल) के मैनेजिंग डायरेक्टर आर.एस. सोढ़ी का कहना है कि ज्यादातर ब्रैंड बहुत छोटे अक्षरों में यह जानकारी देते हैं कि यह आइसक्रीम नहीं फ्रोजन डेजर्ट हैं. ऐसा कर वह जानबूझकर लोगों को बवकूफ बना रहे हैं.
अब अंतिम निर्णय तो आपके ही हाथ में है कि आपको बेवकूफ बनना है या एक जागरुक ग्राहक के तौर पर सोच समझ कर सही-गलत को परखना है.
तो अब किताबों से गायब होंगे कार्टून !!!
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