हाथी तो चला गया पर लगता है यूपी में अभी तक हाथी का चारा आना बंद नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में करिश्माई तरीके से विजय पाने वाले अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश कर दिया और यह बजट माया सरकार से 18% ज्यादा है. इस बजट में हमेशा की तरह उन्होंने सपनों की अनोखी तस्वीर तो दिखाई पर जिस तरह से अभी तक अखिलेश यादव के हर वादे की फजीहत हुई है इसे देखते हुए इस बजट को सिर्फ लोक-लुभावन और हवाई बजट माना जा रहा है.
अखिलेश यादव : एक नजर यूपी के भावी मुख्यमंत्री पर
अखिलेश यादव का यह बजट कुल दो लाख 10 हजार करोड़ रुपये के बजट में चुनावी वादों को पूरा करने के साथ-साथ कुछ आधारभूत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी प्रयास दिखता है. पिछले बजट की तुलना में यह 18 प्रतिशत अधिक है. कुल 13 हजार 650 करोड़ की कुल 280 योजनाएं लाई जाएंगी. लेकिन इन सब में सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि पूर्ववर्ती माया सरकार में चल रही योजनाओं के नाम अब सपा के नेताओं के नाम पर रख दिए गए हैं यानि कि योजनाएं वही बस नाम नया.
हालांकि जिन योजनाओं पर अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले वादे किए थे उन्हें पूरा करने के लिए भी अखिलेश ने बजट में खास स्थान बनवाया है. आइए एक नजर डालें अखिलेश के इस “मायावी” बजट पर:
बेरोजगारी भत्ता: बेरोजगार युवाओं को एक हजार रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का निर्णय. इसके लिए बजट में 1,100 करोड़ रुपये का प्रावधान.
बच्चों को लैपटॉप: 10वीं एवं 12वीं पास छात्रों को टैबलेट और लैपटॉप दिए जाने हेतु 2,721.24 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
कन्या विद्या धन: कन्या विद्या धन योजना को पुन: चालू कर छात्राओं की उच्च शिक्षा के लिए 446.35 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
ऋण मुक्ति: किसानों के लिए ऋण राहत योजना हेतु 500 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तावित.
मुख्य रूप से बिजली की नई योजनाओं के लिए 585.69 करोड़ रुपये, शहरी विकास की नई योजनाओं के लिए 473.92 करोड़ रुपये, त्वरित आर्थिक विकास के लिए 500 करोड़ रुपये, सड़कों और सेतुओं के निर्माण की नई योजनाओं के लिए 2,489.03 करोड़ रुपये तथा सिंचाई की नई योजनाओं के लिए 740.36 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
पूर्ण बजट को देखने के लिए यहां क्लिक करें.
क्या अखिलेश कुछ बदल सकते है: अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्रियों में से एक हैं. जब अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली तो लोगों को भरोसा था कि अखिलेश जरूर प्रदेश में कुछ बदलेंगे, लेकिन जिस दिन ही अखिलेश यादव की जीत की घोषणा हुई उसी दिन प्रदेश में कई जगह सपा के गुंडों का आतंक देखने को मिला. तस्वीर साफ थी राजा तो बदल गया है लेकिन उसने अपनी सेना नहीं बदली. इस सेना में राजा भइया जैसे लोग हैं जो खुद जेल में रहते हैं और जेल मंत्री घोषित कर दिए जाते हैं. इससे जाहिर हुआ कि जिस आतंक के खात्मे का हुंकार भर अखिलेश ने यूपी की गद्दी हासिल की थी वह हुंकार सिर्फ दिखावा मात्र साबित हुई.
अखिलेश यादव के अभी तक के राज में ऐसा कुछ खास नहीं हुआ जिसे देखकर लोग कह सकें कि “अखिलेश यादव कुछ बदलेंगे.” हां, लेकिन अगर लंबी-लंबी और बड़ी बातें करना हो और सभ्य मुख्यमंत्री की तस्वीर दिखानी हो तो अखिलेश यादव इस रोल में फिट बैठते हैं.
अब देखना यह है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था और रोजगार भत्तों के मामलों में अपनी फजीहत करवाने वाले अखिलेश यादव अपने बजट को सही रूप और जमीनी हकीकत में बदल पाते हैं या यहां भी वह सिर्फ गप्प मारकर काम चलाएंगे.
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