भारत में तत्काल टिकट को लेकर धांधलेबाजी किसी से छुपी नहीं है. टिकट लेने गए नहीं कि हमें सूचना मिल जाती है कि आज की सभी टिकटे बिक चुकी हैं. यह समस्या भारत के किसी एक हिस्से में नहीं बल्कि हर जगह बदस्तूर जारी है. पिछले दिनों मीडिया की सक्रिय भूमिका ने भारतीय रेलवे के आंख खोल दिए हैं. काफी दबावों के बीच रेलवे ने तत्काल टिकट को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए. उन दिशा-निर्देशों में सबसे मुख्य है टिकट के लिए आईआरसीटीसी वेबसाइट यूज करना.
यदि आपने आईआरसीटीसी वेबसाइट के नियमों का उल्लंघन करके तत्काल टिकट बुक कराया तो ऐसा हो सकता है कुछ देर में ही आपके घर फोन की घंटी बजे. यह कॉल आईआरसीटीसी कॉल सेंटर से होगी.
फोन पर आपसे क्या-क्या पूछा जा सकता है
आपने जिस यूजर आईडी से ई-टिकट बुक कराया है उसकी जानकारी देनी पड़ेगी.
टिकट का अपना पीएनआर नंबर होता है.
आपने जो टिकट कटाया वह कहां से कहां तक है.
टिकट पर कौन-कौन से यात्री सफर कर रहे हैं. उनका नाम और उम्र क्या है. उनको कौन सी बर्थ दी की गई है.
अपने किसी सह यात्री के मोबाइल नंबर की जानकारी देनी पड़ेगी.
यदि आपने जानकारी गलत दी तो तुरंत आपका टिकट रद्द कर दिया जाएगा. आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
ऐसा माना जाता है कि तत्काल में सबसे ज्यादा धांधली तत्काल खुलने के बाद पहले 15 मिनट तक ही होती है. 10 जुलाई से यह व्यवस्था तत्काल के ओपनिंग समय में परिवर्तित हो जाएगी अर्थात तत्काल टिकटों की बिक्री का वक्त बदल कर सुबह 10 से 12 बजे तक हो जाएगा. हालांकि इसकी सफलता और सही संचालन पर संशय बना हुआ है क्योंकि प्रतिदिन हजारों टिकट तत्काल के तहत बुक होते हैं जिनमें से कई यात्री अपने परिवार के सदस्यों से टिकट बुक कराते है इसलिए उन्हें स्पष्ट रूप से सामने लाना मुश्किल हो जाएगा.
केंद्रीय सतर्कता आयोग से जांच
तत्काल टिकट को लेकर जहां दलालों की धांधली पर नजर रखी जाएगी वहीं यह भी देखा जाएगा कि इसमें रेलवे के अधिकारियों की कोई भूमिका तो नहीं है. इसके लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) स्वयं इसकी जांच करेगा या फिर रेलवे के विजिलेंस विभाग से यह काम करवा सकता है.
अकसर देखा गया है कि भारतीय रेलवे प्रशासन अपने कामों को लेकर काफी सुस्त रहता है. लेकिन इस बार जो रेलवे की तरफ से तत्काल टिकट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए उससे आम लोगों के लिए काफी उम्मीद जगी है.
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