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राजनीति के यह कुंवारे: Unmarried Politician

राजनीति की दुनिया में अकसर आजकल के नेता ताकत आने के बाद ऐसे अंधे हो जाते हैं कि उन्हें अच्छे और बुरे में कोई फर्क ही नहीं नजर आता. राजनीति की राह में रंगीनियां अकसर हावी होती नजर आती हैं लेकिन इस देश के महान राजनीतिक इतिहास के कुछ ऐसे गवाह भी मिलते हैं जो राजनीति को सिर्फ राजनीति तक ही रखते हैं. आज जहां हर नेता के सेक्स स्कैंडल सामने आ रहे हैं वहीं कुछ नेता तो ऐसे भी हैं जिन्होंने अब तक शादी तक नहीं की है.


यूं तो यह कहना कि जो नेता शादी नहीं करते वह बेहद पाक-साफ होते हैं सही नहीं होगा लेकिन इन नेताओं की एक बात जरूर सामने आती है कि यह भोगी प्रवृत्ति के नहीं होते. इन नेताओं में विश्वास करना अकसर सही साबित होता है.


आइए आपको रूबरू कराएं उन नेताओं से जिन्होंने अपनी जिंदगी देश की राजनीति के नाम कर दिया और जीवनभर अविवाहित हैं.


rammanoharडॉ. राम मनोहर लोहिया: Dr. Ram Manohar Lohia

जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक नभ में लोहिया का नाम रहेगा. जिस राम मनोहर लोहिया के शिष्य आज देश की राजनीति में अहम योगदान निभा रहे हैं वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. आज आप चाहे मुलायम सिंह को लें या लालू यादव या नीतीश कुमार को सभी एक समय राम मनोहर लोहिया के चेले हुआ करते थे.


यूपी के फैजाबाद के अकबरपुर में जन्में राम मनोहर लोहिया के पिता हीरालाल पेशे से अध्यापक थे. टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद रामनोहर लोहिया विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए. जर्मनी से पीएचडी करने के बाद जब भारत वापस आए तो यहां गांधी जी द्वारा संचालित भारत छोड़ो आंदोलन अपने पूरे शवाब पर था. जब गांधी जी और कांग्रेस के अन्य नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो भी राम मनोहर लोहिया ने भूमिगत रहकर भारत छोड़ो आंदोलन को पूरे देश में फैलाया.


भारत स्वतंत्र हुआ लेकिन राममोहर लोहिया ने देश में बदलाव की लहर लाने के लिए फिर आंदोलन किया और उन्होंने कांग्रेस की सरकार को आसमान से जमीन पर ला दिया. आजादी के बाद देश के इतिहास में अभी तक का सबसे असरदार आंदोलन राममनोहर लोहिया ने ही किया है. अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम करने वाले राम मनोहर लोहिया ने आजीवन अविवाहित रहकर बिताया.


Mamta Banerjeeममता बनर्जी: Mamta Banerjee

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अकसर आपने सिर्फ सूती साड़ी, हवाई चप्पल, कंधे पर कपड़े का थैला और चेहरे पर हमेशा संघर्ष के भाव के साथ देखा होगा लेकिन इस संघर्ष में आपने कभी उनके चेहरे पर अकेलेपन का कोई निशान नहीं देखा होगा.


ममता बनर्जी को अगर संघर्ष का दूसरा नाम कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा. अपने संघर्ष के बल पर उन्होंने 34 साल से जमे वाममोर्चे को जड़ से उखाड़ फेंका. ममता बनर्जी को लोग “दीदी” कहकर पुकारते हैं और ऐसा इसलिए क्यूंकि ममता बनर्जी का नाम ही ममता नहीं बल्कि उनके स्वभाव में भी ममता की झलक दिखती है.


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maya_b_04-02-2012मायावती: Mayavati

माया की माया, माया ही जानें” उत्तर प्रदेश की राजनीति से निकल कर देश की राजनीति में अपनी पकड़ बनाने वाली मायावती भले ही अकेली हों लेकिन उनसे टक्कर लेने की हिम्मत कोई नहीं करता.


भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रही मायावती 1977 में कांशीराम के सम्पर्क में आने के बाद राजनीति में आ गईं. वे बसपा की संस्थापक सदस्य और वर्तमान अध्यक्ष हैं. उन्होंने भी शादी नहीं की है. अगर कांशीराम से उनके संबंधों की बात ना की जाए तो वह भी राजनीति में “कुंवारी नेता” के आदर्श को दर्शाती हैं.


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UMa BHartiउमा भारती: Uma Bharti

उमा भारती एक महिला नेता होने के बाद भी भाजपा की फायर ब्रांड में शामिल हैं. उमा भारती का पूरा नाम उमा श्री भारती है. उनका राजनैतिक सफर छोटी उम्र में ही शुरू हो गया था. भाजपा से जुड़ने के बाद उमा 1984 में पहली बार चुनाव लड़ीं और विजयी हुईं. वाजपेयी सरकार में उमा ने विभिन्न मंत्रालयों का पदभार संभाला. वर्ष 2003 के चुनावों में वह मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. 2004 में उमा को भाजपा से निकाल दिया गया. अब उनकी घर वापसी हो चुकी है. उन्होंने साध्वी धर्म निभाते हुए शादी नहीं किया है.


Read Intersting facts about Uma Bharti


Narendra Modiनरेंद्र मोदी:

भाजपा में आज अगर कोई नाम प्रधानमंत्री पद का सबसे बड़ा उम्मीदवार है तो वह हैं नरेंद्र मोदी. 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद अभी तक वह इस पद पर बने हुए हैं. इस दौरान उनका कद भाजपा में बहुत बढ़ा है. नरेंद्र मोदी पर अकसर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता रहा है लेकिन उन्होंने अपनी नीतियों से साफ किया है कि वह किसी के पक्षधर या विरोधी नहीं हैं वह सिर्फ प्रगति के सहायक और प्रशंसक हैं. वह अपने राज्य में खुशहाली के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं.


Read Untold Truth of Narendra Modi


vajpayeeअटल बिहारी वाजपेयी

एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्में अटल बिहारी ने देश के प्रधानमंत्री पद तक का जो सफर तय किया वह आदर्श है. पत्रकारिता से अपने कॅरियर की शुरूआत कर और राम मनोहर लोहिया आंदोलन में अहम भूमिका निभा कर उन्होंने खुद को राजनीति से जोड़ा. 16 मई, 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने. लेकिन कुछ दिनों में ही उनकी यह सरकार गिर गई लेकिन जब दुबारा सरकार बनी तो वह पूरे पांच साल का कार्यकाल खत्म करके ही रुकी.


वह भारत के पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने विदेश मंत्री के रूप में यूएन में हिन्दी में भाषण दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी जी एक जाने-माने कवि भी हैं. अपनी पूरी जिंदगी देशहित में काम करने के बाद भी उन्होंने शादी नहीं की.


यूं तो देश में और भी कई अविवाहित राजनेता हैं लेकिन यह वह नेतागण हैं जो या तो अभी राजनीति में सक्रिय हैं या जिन्होंने राजनीति को नई दिशा दी है.


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