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अमरनाथ यात्रा या फिर मौत की यात्रा !!

amarnath yatra

Amarnath Yatra Death 2012

अमरनाथ यात्रा पर मौतें क्यों?

‘चलो भोले के दर्शन करने’ अब मौत के दर्शन करना क्यों हो गया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं की मौत के बढ़ते मामलों पर रोक लगाना सरकार की जिम्मेदारी है. साथ ही यह तय करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है कि यात्रा के कारण पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई भी नुकसान न पहुंचे.


अमरनाथ यात्रा पर हार्ट अटैक

अमरनाथ यात्रा के लिए पहली शर्त है ‘अच्छी सेहत’. लेकिन यह शर्त सिर्फ कागजों पर ही है. हर रोज यात्रा पर जाने वाले 30-40 हजार यात्रियों में आधे से ज्यादा का स्वास्थ्य इस कठिन यात्रा के लायक नहीं है और बहुत से लोगों के पास जरूरी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं है. नतीजा हर दिन दो से तीन लोगों की मौत होती है. अमरनाथ यात्रा के शुरुआती 20 दिनों में 74 यात्रियों की मौत हो चुकी है और ज्यादातर की मौत का कारण हार्ट अटैक होता है. देश भर में बहुत से डॉक्टर हैं जो अमरनाथ यात्रा के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं वह अपना काम ठीक तरह से नहीं कर रहे है. 50-100 रुपए में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं और डॉक्टर यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.


उल्लेखनीय है कि साल 2009 में 60 दिन में 3.81 लाख यात्रियों की संख्या में से 45 मौतें हुईं, साल 2010 में 55 दिन में 4.56 लाख यात्रियों की संख्या में से 68 मौतें हुईं, साल 2011 में 45 दिन में 6.35 लाख यात्रियों की संख्या में से 107 मौतें हुईं जबकि साल 2012 में 39 दिन में 4 लाख से ज्यादा यात्रियों की संख्या में से 74 मौतें हुईं.


सुप्रीम कोर्ट के जरूरी सवाल

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण कानून में सरकार पर पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने कहा है कि अधिकारी मेडिकल सुविधाओं, सड़कों और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के दायित्व से बच नहीं सकते हैं.
  • श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ के प्रबंधन के लिए क्या उपाय किए हैं?
  • रोजाना गुफा पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सात गुना करने की अनुमति क्यों दी गई है.
  • क्या यह अनुमति देने से पहले जरूरी इंतजाम किए गए हैं?

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