लगभग 20 दिन पहले जब सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर राजनीतिक विकल्प देने की घोषणा की थी तब उस समय यह आवाज उठने लगी कि अन्ना टीम अपने मूल आन्दोलन से भटक रही है. राजनीतिक विकल्प की बात करके टीम अन्ना ने जनता की उन भावनाओं के साथ खेला जो पिछले साल अप्रैल और अगस्त के महीने में आंदोलन के दौरान भारी संख्या में जुड़े थे लेकिन टीम अन्ना ने ऐसी सभी आवाजों पर ध्यान नहीं दिया और एक राजनीतिक विकल्प के रूप में रणनीति बनाने में जुट गए. इनकी यह रणनीति रविवार 26 अगस्त को देखने को मिली. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को जारी रखते हुए कोयला आवंटन में हुए भारी धांधली के विरोध में अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, गोपाल राय, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास रविवार सुबह छह बजे ही अलग-अलग टुकडि़यों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के निवास पर घेराव करने पहुंचे.
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इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आइएसी) के सैकड़ों समर्थक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के निवास पर पहुंच घेराव करने के लिए अलग-अलग समूहों में निकले ताकि आंदोलन को और अधिक विस्तार दिया जा सके. तीन बजे तक चले आन्दोलन के दौरान अफरा-तफरी का माहौल कायम रहा. दोपहर बाद रेसकोर्स स्थित प्रधानमंत्री निवास के बाहर तथा जनपथ पर समर्थकों को रोकने के लिए पुलिस को वाटर कैनन तथा लाठीचार्ज करना पड़ा, साथ ही आंसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल किया गया. मगर प्रदर्शनकारियों का जोश फिर भी ठंडा नहीं पड़ा. तीन बजे अरविंद केजरीवाल ने जब समर्थकों से कहा कि उनका मकसद पूरा हो गया अब घेराव रोक दें, तब समर्थक रुके और पुलिस ने भी राहत की सांस ली. चूंकि सुबह 10 बजे इस तरह के प्रदर्शन की सूचना पुलिस को दी गई थी, इस लिहाज से वह पूरी तरह से मुस्तैद भी नहीं थी.
निर्धारित समय से कई घंटे पहले अन्ना सहयोगियों को नई दिल्ली इलाके में घूमते देख पुलिस व अन्य सुरक्षा कर्मियों के होश उड़ गए. पुलिस ने तुरंत पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई और समूह में आए समर्थकों को पुलिस हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने ले गई, जिसमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया व कुमार विश्वास आदि शामिल थे. कुछ ही देर में समर्थकों का जत्था थाने के पास इकट्ठा हुआ और प्रदर्शन करने लगा. पुलिस ने जैसे-तैसे मामला शांत कराया और सभी प्रदर्शनकारियों को थाने से छोड़ दिया.
यहां भी प्रदर्शनकारियों का आंदोलन ठंडा नहीं पड़ा. जेल से छूटने के बाद प्रदर्शनकारियों का जत्था जंतर-मंतर पहुंचा और वहां जमकर केंद्र सरकार के खिलाफ भड़ास निकालने लगा. वहां से दोबारा केजरीवाल समर्थक टुकड़ियों में बंटकर कांग्रेस मुख्यालय, प्रधानमंत्री आवास, संसद भवन, नितिन गडकरी के आवास की ओर कूच करने निकले. पुलिस ने उन्हें रोका तो जमकर हंगामा किया. कुछ लोगों ने अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय तथा जनपथ पर बैरिकेड तोड़ आगे बढ़ने की कोशिश की तो काबू करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन, लाठी चार्ज व आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.
दोपहर एक बजे से तीन बजे तक आइएसी समर्थक व पुलिस कर्मियों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा. इसी बीच अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके घेराव के दो मकसद थे. एक था सरकार के कारनामे का पर्दाफाश और दूसरा कांग्रेस-भाजपा की मिलीभगत को उजागर करना. दोनों ही मकसद पूरे हो गए, इसलिए अब घेराव खत्म किया जाए. केजरीवाल से मिले इस निर्देश के बाद जाकर मामला शांत हुआ. पुलिस ने भी राहत की सांस ली.
इस एक दिन के पूरे आन्दोलन में कहीं न कहीं एक राजनीतिक पार्टी की सोच छुपी हुई थी जो ऐलान कर रही थी कि सत्ताधारी और विपक्ष तुम तैयार हो जाओ हम पूरे जोशोखरोश के साथ मैदान पर उतर चुके हैं. तुम्हारे शासन को जनता ने देख लिया है अब हमारी बारी.
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