देश में 2014 में अगले चुनाव होने वाले हैं. अभी तो पूरे दो साल बाकी हैं लेकिन राजनीति के गलियारों में आग लगने पर कुंआ खोदने की परंपरा नहीं है. यहां तो चुनावों की तैयारी अकसर समय से बहुत पहले ही कर ली जाती है. राजनीति के गलियारों की शायद यही एक अच्छी चीज है जो कभी नहीं बदलती. यहां समीकरणों का गुणा भाग पहले ही तैयार कर लिया जाता है ताकि वक्त आने पर नकारात्मक समीकरणों को भी अपनी तरफ जोड़ा जा सके.
एनडीए की बल्ले-बल्ले
समस्याओं और घोटालों से काली हो चुकी कांग्रेस के लिए वापसी कितनी मुश्किल है यह एनडीटीवी के मिड टर्म ओपिनियन पोल में साबित हो गया है. अभी चुनाव हुए तो एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन हो सकता है और उसकी सीटें 162 से बढ़कर 207 होने का अनुमान है. बीजेपी की सीटें 116 से बढ़कर 143 हो सकती हैं, जबकि इसके सहयोगियों-जेडी (यू), शिवसेना और अकाली दल-के सांसदों की तादाद 46 से बढ़कर 64 होने का अनुमान जताया गया है. लेकिन एनडीए के लिए “कौन बनेगा प्रधानमंत्री ” का सवाल ही यक्ष प्रश्न है. अगर मोदी को प्रधानमंत्री बनाते हैं तो नीतीश से हाथ धोना पड़ेगा और अगर मोदी को दूर रखते हैं तो जीत दूर हो सकती है.
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यूपीए के लिए खतरे की घंटी
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस समय घोटालों और अपनी नीतियों की वजह से जनता की नजरों में “बेकार, बेबस और बर्बादी देने वाली सरकार” का खिताब पा चुकी है. यूपीए की सीटें 264 से घटकर 185 हो सकती हैं. कांग्रेस की सीटें 206 से 127 पर पहुंच जाएंगी, जबकि उसके सहयोगियों की सीटें 58 ही रहने का अनुमान है. अगर इस समय मध्यावधि चुनाव होते हैं तो पूरी संभावना है कि कांग्रेस की करारी हार होगी.
तीसरे मोर्चे का सवाल ही नहीं
हालांकि इस सर्वे में एक चीज और साफ है कि देश की इन दोनों बड़ी पार्टियों को अकेले दम पर सरकार बनाना बहुत मुश्किल है. सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां अगले चुनावों में एक बड़ा रोल अदा करने वाली हैं. यही पार्टियां असली किंगमेकर बनकर उभरेंगी.
चैनल ने इस बात का भी दावा किया है कि किसी तीसरे मोर्चे की कल्पना करना अभी बेमानी ही होगी. एनडीटीवी के इस सर्वे से एक ओर जहां भाजपा बहुत खुश हो रही है तो वहीं कांग्रेस इसे मात्र एक फिजूल का सर्वे मान रही है.
यह मात्र एक सर्वे है लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि एक्जिट पोल के नतीजे अकसर चुनावों से पहले की सूरत को साफ करते हैं. इसे अंतिम परिणाम मानना भी गलत ही होगा. पर अभी भी इंतजार तो 2014 तक का करना ही पड़ेगा क्यूंकि घोटालों की आंच से यह सरकार जल जाए ऐसा तो होगा नहीं.
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