रह-रह कर अपने बयानों से भारतीय राजनीति और मीडिया में हलचल पैदा करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को लगता है जैसे संविधान में लिखी बातों की धज्जियां उड़ाने का ठेका मिला हुआ है जो न केवल अपने बयानों से देश की अखंडता पर चोट करते हैं बल्कि एक ओछी राजानीति करके उससे रोटी सेंकने की कोशिश करते हैं. महाराष्ट्र में बिहारियों को घुसपैठिया करार देने और उन्हें खदेड़ देने के बयान के बाद एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे हिंदी न्यूज चैनलों पर भी जमकर भड़के.
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राज ठाकरे ने हिंदी न्यूज चैनलों को अपना खेल रोकने की चेतावनी दी और कहा कि मुझे खलनायक की तरह पेश करने वाले चैनलों ने अपना खेल नहीं रोका तो मैं महाराष्ट्र में उनका खेल रोक दूंगा. ऐसा लगता है महाराष्ट्र उनकी जागीर है जो उन्हें विरासत में मिली हुई है. मीडिया पर दिए गए अपने इस बयान से उन्होंने सीधे संविधान को चुनौती दी है जिसमें नागरिकों को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार मिला हुआ है.
इससे पहले पिछले दिनों मुंबई पुलिस के बिहार पुलिस को जानकारी दिए बिना एक युवक को राज्य के सीतामढ़ी जिले से उठाने पर नाराजगी जताते हुए बिहार सरकार ने मुंबई पुलिस पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी. जिसके बाद राज ठाकरे ने भड़के हुए अंदाज में कहा कि मुंबई पुलिस पर अगर कोई कार्रवाई हुई तो महाराष्ट्र में बिहारियों को भी घुसपैठिया मान कर मुंबई से खदेड़ दिया जाएगा. इस घटना के बाद देश के हर राजनीतिक दल ने राज ठाकरे की अपने-अपने तरीके से चौतरफा आलोचना की.
यह पहला वाकया नहीं है जब राज ठाकरे ने देश की एकता और क्षेत्रवाद के खिलाफ आग उगला है. जब-जब मौका मिलता है वह मराठियों की सहानुभूति लेने और अपनी राजनीतिक जमीन को और अधिक बढ़ाने के लिए इस तरह के बयान देते रहते हैं लेकिन वह भूल जाते हैं कि वह विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. जब पाकिस्तान के इतने प्रयासों के बाद भी भारत की लोकतंत्र की नींव पर कोई असर नहीं हुआ तो उनके अनर्गल बयानों का क्या असर होगा.
हैरान की बात यह है कि राज ठाकरे के लगातार इस तरह के बयान के बाद भी महाराष्ट्र राज्य सरकार और केंद्र सरकार का रवैया काफी निराशा जनक रहा है. राज ठाकरे ने बार-बार देश के संविधान को चुनौती दी है लेकिन सरकार उनके ऊपर कार्यवाही न करके केवल आलोचनाओं से ही काम चलाती है.
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