गुरुवार को जहां पूरा देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और डीजल की कीमतों को लेकर केंद्रीय सरकार के खिलाफ आन्दोलन कर रहा था वहीं सरकार ने अपनी हठधर्मिता का परिचय देते हुए मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के फैसले को अमलीजामा पहना दिया. इससे वॉलमार्ट जैसी अन्य दूसरी विदेशी कंपनियों के लिए भारत में स्टोर खोलने का रास्ता साफ हो गया. सरकार ने इसके साथ ही विमानन और प्रसारण क्षेत्र में भी विदेशी निवेश नियमों को और उदार बनाने संबंधी निर्णयों को भी अधिसूचित कर दिया. मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई को लेकर राजनीति और अर्थजगत के लोगों की अपनी राय है. कुछ लोग इसे अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ जोड़ रहे हैं तो कुछ इसके नुकसान पर प्रकाश डालते हुए इसे देश के लिए खतरा बता रहे हैं.
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मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के फायदे
किसानों को लाभ: देश में मंहगाई का असर सबसे ज्यादा किसी के ऊपर पड़ता है तो वह है आम किसान. उनकी हालत किसी से छुपी नहीं है. वे बिचौलियों के जाल में इस तरह जकड़ चुके हैं कि उन्हें अपने उत्पादन का वाजिब दाम नहीं मिल पाता. खेती में निरंतर हो रहे घाटे के चलते आज किसान आत्महत्या का रास्ता अपना रहा है. अगर रिटेल में एफडीआई आने से बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहेगी और किसानों को इसका सीधा फायदा होगा.
उपभोक्ताओं को फायदा: मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के आने से उपभोक्ताओं को सीधे फायदा होगा. तमाम वस्तुओं के दाम किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों के होने से कई गुना बढ़ जाते थे किंतु एफडीआई के आने से यह व्यव्स्था पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी जिससे वस्तुओं के दाम में काफी गिरावट आएगी.
रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे: सरकार का मानना है किखुदरा क्षेत्र में एफडीआई की मंजूरी से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा.
बिचौलिए का सफाया: बिचौलिए के होने से आज किसान और उपभोक्ता एक ही तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. जहां बिचौलिए के चलते उत्पादन करने वाले किसान को अपनी वस्तुओं का वाजिब दाम नहीं मिल पाता वहीं ग्राहकों को भी किसी वस्तु को खरीदने के लिए अधिक दाम चुकाने पड़ते हैं. एफडीआई के आने से बिचौलिए गायब हो जाएंगे, जिससे किसानों को पहले से कहीं अधिक दाम मिलेगा और ग्राहकों को भी पहले की तुलना में काफी सस्ती चीजें मिल जाएंगी.
मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के नुकसान
बेरोजगारी बढ़ेगी: भारत में खुदरा व्यापार क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का कृषि के बाद सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यहां अधिकतर परिवारों की जीविका खुदरा क्षेत्र और छोटे व्यवसाय पर आधारित है इसलिए यदि इस क्षेत्र में एफडीआई आती है तो काफी लोगों को अपने व्यवसाय से हाथ धोना पड़ सकता है.
दाम में कमी नहीं: जो लोग मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के आने से दाम कम होने का दम भर रहे हैं ऐसा कुछ नहीं होने वाला बल्कि खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों के आने से एकाधिकार की स्थिति पैदा होगी जिससे वे मनमाने दरों पर अपने उत्पाद बेचेंगी.
नए तरह के बिचौलिए का उद्भव: जहां एक तरफ खुदरा बाज़ार में विदेशी निवेश आने से पुराने बिचौलियों का सफाया हो जाएगा वहीं इससे नए तरह बिचौलियों काउदय भी हो जाएगा. नए तरह के बिचौलियों के आने से किसानों के ऊपर उन वस्तुओं के उत्पादन करने का दबाव होगा जिससे इन विदेशी कंपनियों को फायदा होता हो.
एफडीआई के मुद्दे पर सरकार की हड़बड़ाहट साफ तौर पर जाहिर करता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और गहराते संकट के बीच बड़ी निजी कंपनियां पूंजी लगाने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश रही हैं और सरकार उनकी मदद करना चाहती है. लेकिन अगर देखें तो सरकार की हड़बड़ाहट से तात्कालिक तौर पर अर्थव्यवस्था को कोई वास्तविक लाभ नहीं होने जा रहा है और न ही अर्थव्यवस्था का संकट दूर होने जा रहा है. हां, यह हो सकता है कि इन फैसलों से कुछ दिनों के लिए शेयर बाजार में सटोरियों को खेलने और सरकार को फीलगुड का माहौल बनाने का मौका जरूर मिल जाए.
एफडीआई के फायदे और नुकसान, एफडीआई, विदेशी निवेश.
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