सरकार में ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कोई मंत्री जिसके उपर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे हुए हैं अपने बचाव में मीडिया और जनता के सामने खुंदक निकाले. कांग्रेस के रसूखदार नेता सलमान खुर्शीद ने रविवार को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कुछ भड़के हुए अंदाज में दिखाई दिए. देश का कानून मंत्री होने के नाते कोई भी जनता यह नहीं चाहेगी कि उसका मंत्री पूछे हुए सवालों का जवाब धमकी के रूप में दे.
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केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद पर अपनी संस्था के जरिए विकलांगों के लिए कैंपों के नाम पर केंद्र से लिए 71 लाख रुपए की सरकारी मदद में घपला करने का आरोप लगा है. खुर्शीद पर यह आरोप इंडिया टुडे समूह और अरविंद केजरीवाल की इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने लगाया है. अपने उपर लगे इन्हीं आरोपों का खंडन करने के लिए सलमान खुर्शीद रविवार को लंदन से लौटने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए. वह मीडिया द्वारा खासकर इंडिया टुडे समूह के पत्रकारों द्वारा किए गए सवालों पर तमतमाए हुए दिखाई दिए और बार-बार कोर्ट में जाने की बात करते रहे. जब पत्रकार उनसे उनके ट्रस्ट द्वारा किए गए घपलों को लेकर सवाल पूछ रहे थे तक कहीं न कहीं वह अपना आपा खोते हुए नजर आ रहे थे.
लगभग 2 घंटे तक चले इस पूरे प्रेस कांफ्रेंस में ऐसा कहीं भी नहीं लगा कि वह अपने उपर लगे आरोपों की सफाई के लिए मीडिया के सामने आए हैं. बाद में यह कांफ्रेंस उनका और इंडिया टुडे समूह के टीवी पत्रकारों के बीच वाद-विवाद में तब्दील हो गया. इसी पत्रकार वार्ता के बाद खुर्शीद ने एक चैनल से बातचीत के दौरान अरविंद केजरीवाल को कुछ ऐसा कह दिया जिसकी उम्मीद बहुत ही कम लोगों को थी. उनके गुस्से का उबाल कुछ इस कदर था कि उन्होंने केजरीवाल को ‘गंदी नाली का कीड़ा तक कह डाला’.
जिस तरह से सलमान खुर्शीद अपने बचाव में कभी आगबबूला हो रहे हैं तो कभी तो अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि जैसे देश की पूरी व्यवस्था को वह स्वयं ही चला रहे हैं. उनके ऊपर किसी का भी यहां तक कि प्रधानमंत्री का दबाव तक नहीं है. जिस तरह से वह अपने आप को पाक साफ बताने के लिए इधर-उधर का बयान दे रहे हैं उससे तो यही लगता है कि उन्हें जनता से भी भय नहीं है जिनका सामना वह अकसर संसदीय क्षेत्र में करते रहते हैं.
इस पूरे मामले में इस बार सरकार ने वह तत्परता नहीं दिखाई जैसा वह अकसर अपने मंत्रियों पर लगे आरोपों के बाद दिखाती थी. इसका मतलब यह है कि उन्हें भी पता है कि खुर्शीद कहीं न कहीं दोषी हैं और यदि वह इस मामले में पूरी तरह से खुर्शीद के बचाव में उतरती है तो वह खुद की फजीहत ही कराएगी. दूसरी तरफ अगर सरकार को लगता है कि खुर्शीद दोषी हैं तो उन्हें जांच कराने में कोई भी देरी नहीं करनी चाहिए. धीरे-धीरे यह आंदोलन किसी मीडिया ग्रुप या अरविंद केजरीवाल का न होकर पूरे देश की संवेदना के साथ जुड़ गया है. मुद्दा विकलांगो से जुड़े होने के कारण हर कोई चाहता है कि इस मामले से पर्दा हटे और सच्चाई सबके सामने आए. अब अगर सरकार को थोड़ी बहुत भी शर्म है तो वह आगे बढ़कर खुर्शीद का इस्तीफा ले और मामले को समझते हुए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराए. अगर सरकार को लगता है कि खुर्शीद दोषी नहीं हैं तो जांच कराने में क्या हर्ज है. फिलहाल जहां एक तरफ अरविंद केजरीवाल और उनकी पूरी टीम खुर्शीद के इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है वहीं इंडिया टुडे समूह के पत्रकारों सहित पूरे देश को अभी भी सलमान खुर्शीद पर दागे गए सवालों पर जवाब की प्रतीक्षा है.
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