जब किसी देश को लोकतंत्र का दर्जा मिलता है तो उम्मीद की जाती है कि वह देश अपने नागरिकों के अधिकारों और तरक्की को लेकर काम करेगा. वहां की सरकार ऐसा कानून नहीं बनाएगी जिससे नागरिकों की सुरक्षा को खतरा हो. लेकिन उसी लोकतंत्र में यदि देश का कानून मंत्री अपने पद का दुरुपयोग करके खुलेआम धमकी देता है तो समझ लीजिए पानी सर से उपर चढ़ चुका है.
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खबरिया चैनलों के मुताबिक भारत के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने इंडिया अगेस्ट करप्शन के नेता अरविंद केजरीवाल को खुलेआम धमकी दी है कि “केजरीवाल फर्रुखाबाद आएं, लेकिन वहां से लौटकर भी दिखाएं”. उन्होंने आगे कहा कि “बहुत दिनों से मैं कलम से काम कर रहा था लेकिन अब वक्त आ गया है कि कलम के साथ-साथ लहू से भी काम करूं”. “उन्होंने कहा कि केजरीवाल को ऐसा सबक सिखाएंगे कि वह सवाल पूछना भूल जाएंगे”. जवाब में अरविंद केजरीवाल ने कहा है, हम खुर्शीद की धमकियों से नहीं डरेंगे और फर्रुखाबाद जरूर जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी जिंदगी भगवान के हाथ में है और उन्हें किसी सरकारी सुरक्षा की जरूरत नहीं है. केजरीवाल ने कहा, मैं मारा भी गया तो 100 और अरविंद पैदा हो जाएंगे.
सलमान खुर्शीद द्वारा दिया गया यह बयान किसी कानून मंत्री का नहीं हो सकता. इस तरह का लहजा माफिया और गुंडे इस्तेमाल करते हैं जो थोड़े से पैसे के लिए किसी की जान भी लेते हैं. उनके धमकी भरे लहजे से यह अंदाजा लगाया जा सकता कि कांग्रेस की आलाकमान ने किसके भरोसे देश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा को छोड़ रखा है. अरविंद ने जनहित से जुड़े सवाल उनसे क्या पूछ लिए वह अपनी पद की गरिमा को भूल कर मरने-मारने पर उतारू हो गए. जब कोई कानून मंत्री अपना पद संभालता है तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसा कानून बनाए जिससे सबके हित सुरक्षित हों लेकिन यहां तो स्वयं कानून मंत्री ही कानून की लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं.
घमंड में पूरी तरह से नहाए ऑक्सफोर्ड से पढ़े सलमान खुर्शीद ने इस तरह का अलोकतांत्रिक भाषा का प्रयोग पहली बार नहीं किया है. इससे पहले उन्होंने केजरीवाल को गंदी नाली का कीड़ा तक कह डाला था. हाल ही में वह एक प्रेस कांफ्रेस में एक चैनल के पत्रकारों को भी धमका चुके हैं. अपने पद का धौंस जमाने वाले सलमान खुर्शीद न केवल व्यक्तिगत कटाक्ष करते हैं बल्कि वह संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करने से भी नहीं चूकते. उत्तर प्रदेश 2012 के चुनाव के समय उन्होंने चुनाव आयोग को ही ललकार दिया और यह तक कह डाला कि वह चुनावी आचार संहिता के खिलाफ प्रचार करते रहेंगे. अगर इसमें यदि चुनाव आयोग उन्हें सजा भी दे तो वह नहीं डरते.
अब यहां सवाल उठता है कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने ऐसे सांप को पाल रखा है जो कभी भी देश के लोकतंत्र पर हमला कर सकता है. देश की कानून-व्यवस्था को अराजकता में तब्दील कर सकता है. सरकार सलमान खुर्शीद की करतूतों से अनजान नहीं है. अगर सरकार में थोड़ी-बहुत भी शर्म बची है तो जल्द से जल्द ऐसे मंत्री को अपने मंत्रिमंडल से बाहर करे.
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