वैसे कांग्रेस में हम चाटुकारिता को लेकर आए दिन कोई न कोई नमूना देखते ही रहते हैं लेकिन यह नमूना उस समय और अधिक देखने को मिलता है जब गांधी परिवार में किसी की जयंती या पुण्यतिथि हो. इंदिरा गांधी की 28वीं पुण्यतिथि के दिन भारत सरकार के तमाम मंत्रालयों ने अपने बजट से पैसा निकालकर देश के सभी राष्ट्रीय अखबारों में आधे-आधे पन्ने के महंगे विज्ञापन छपवाए. गांधी परिवार के प्रति वफदारी का यह रेस केवल केन्द्रीय मंत्रियों में नही बल्कि कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों में भी देखा गया. दिल्ली सरकार की ओर से छपवाए गए विज्ञापन में इंदिरा लिख कर आर को काला कर दिया गया है जिससे ये शब्द ‘इंडिया’ बन जाता है. इस तरह के विज्ञापन यह दर्शाते हैं कि कांग्रेस के लोग गांधी परिवार के लोगों को देश से बढ़कर मानते हैं. उनके लिए देश बाद में और गांधी परिवार पहले आता है. इससे पहले भी कांगेस के नेताओं ने इंदिरा गांधी को ‘इंदिरा इज़ इंडिया’ कहकर संबोधित किया है.
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सरकारी खजाने से महंगे विज्ञापन छपवाने की यह रेस न केवल इंदिरा गांधी बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी की पुण्यतिथि और जन्मतिथि के अवसर पर भी देखा गया है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिन यानि 20 अगस्त को भी इसी तरह के विज्ञापनों की बाढ़ आ जाती है. ऐसे अवसरों पर कांगेस का हरेक नेता गांधी परिवार के गुणों और उनकी उपलब्धियों का बखान करने लगता है. जैसे लगता है कि देश में और कोई महान छवि वाले नेता हैं ही नहीं. आपको बताते चलें जिस दिन इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि होती है उस दिन लौह पुरुष वल्ल्भभाई पटेल की जयंती होती है. यह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने आजादी के बाद देश को जोड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. ऐसे में इन्हें याद करना कांग्रेस के वफादार लोगों का फर्ज नहीं है.
गांधी परिवार की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता. आजादी के बाद इन्होंने देश को सहारा दिया लेकिन इस सहारे के साथ इन्होंने देश को कई दुख भी दिए. एक तरह जहां नेहरू को भारत-चीन युद्ध में लिए गए गलत फैसले के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी तरफ इंदिरा गांधी को ऑपरेशन ब्लू स्टार और राजीव गांधी को बोफॉर्स घोटाले के लिए जाना जाता है. गांधी परिवार या फिर कांग्रेस के दामन पर यह इतना बड़ा दाग है जिसे कोई मिटा नहीं सकता. ऐसे में देश के सरकारी खजाने से इन व्यक्तियों की पूजा कितनी सही है.
वैसे आज भी गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस के आलाकमान सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप लगा कि उन्होंने गलत तरीके से कई करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई. खुद सोनिया गांधी पर आरोप लगते हैं कि उनके इशारे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह काम करते हैं जो किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए सही संकेत नहीं है. लेकिन हद तो तब हो जाती है जब कांग्रेस के नेता इन आरोपों को ढकने के लिए आगे आ जाते हैं.
एक तरफ देश की जनता को यह बोलकर गुमराह किया जा रहा है कि सरकार के राजकोष में धन नहीं है. कई ऐसे परियोजनाए हैं जो धन न होने की वजह ठप पड़ी हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के यह चाटुकार अपने आप को गांधी परिवार का सबसे बड़ा भक्त दिखाने के लिए अपने मंत्रालय से पैसे खर्च करके व्यक्ति और परिवारवाद की पूजा का नमूना पेश करते हैं. अगर यह सच में ही देश के प्रभावशाली और महान व्यक्तित्व रहे तो कांग्रेस के इन खैरख्वाओं को विज्ञापनों में पैसे न बहाकर उन्हीं पैसे से कुछ कल्याणकारी परियोजना को चलाना चाहिए.
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