आगामी लोकसभा चुनाव में जनता के सामने अपने आप को सशक्त विकल्प के रूप में रखने वाली भारतीय जनता पार्टी आज अपनी ही पार्टी में अंतर्कलह की वजह से सुर्खियों में है. कारण साफ है पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी. अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले नितिन गडकरी पिछले कुछ दिनों से अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सत्ता दल कांग्रेस सहित राष्ट्रीय मीडिया की नजरों में चढ़े हुए हैं.
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जब से गडकरी पर अपनी कंपनी पूर्ति समूह को फायदा पहुंचाने के लिए वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं, उसको देखते हुए हर तरफ से उनके इस्तीफे की मांग भी तेज हो गई. तब उनकी स्वयं की पार्टी बीजेपी में भी दबी जुबान में ही सही पर उनको हटाने की मांग उठ रही थी लेकिन उनकी ताकत और आरएसएस प्रमुख के समर्थन के चलते कोई आवाज नहीं उठा रहा था. लेकिन कहते हैं न कोई अपराधी अपने अपराध को कितने दिनों तक छुपा सकता है. गडकरी की करतूतों के चलते उनकी स्वयं की पार्टी भारतीय जनता पार्टी उनके खिलाफ ऊंचे सुर में मोर्चा खोल चुकी है.
भाजपा के चार बड़े नेताओं ने खुलकर गडकरी को अध्यक्ष पद से हटाने की हिमायत की है. पार्टी के राज्यसभा सांसद और मशहूर वकील राम जेठमलानी की मानें तो जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा नितिन गडकरी को पार्टी में दूसरी बार अध्यक्ष बनाने को लेकर पक्ष में नहीं हैं. राम जेठमलानी ने कहा कि गडकरी पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के चलते पहले ही पार्टी को काफी नुकसान हो चुका है. उन्होंने उनके इस्तीफे की मांग को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को इस बारे में एक चिट्ठी लिखी है.
कुछ समय पहले तक अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ खड़ी रहने वाली भारतीय जनता पार्टी आज उन्हें पार्टी की तरक्की का सबसे बड़ा रोड़ा समझती है. वह समझ चुकी है कि जब तक नितिन गडकरी अपने पद पर बने रहेंगे तब तक पार्टी अपने विरोधियों के खिलाफ आक्रामक नहीं हो सकती. और यह देखा गया है कि पिछले कुछ दिनों से बीजेपी कांग्रेस के कई मुद्दों पर जहां पर वह फायदा उठा सकती थी डिफेंसिव दिखाई दी. हाल ही में नितिन गडकरी ने भोपाल में एक सभा के दौरान स्वामी विवेकानंद और अंडरवर्ल्ड माफिया दाउद इब्राहीम के आईक्यू की तुलना की थी जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी की काफी किरकिरी हुई. उनके करतूतों के चलते भाजपा का कोई भी प्रवक्ता मीडिया के पूछे हुए सवालों का जवाब नहीं दे पाता.
बीजेपी के लिए यह ऐसा वक्त है जहां उसे अपनी सत्ता में वापसी के कयास को लेकर हवा का रुख यूपीए या कांग्रेस के खिलाफ करना चाहिए था लेकिन कहीं न कहीं वह खुद उसी हवा के भंवर में फंसती हुई नजर आ रही है. इस पर सोनिया गांधी का वह बयान याद आता है जब उन्होंने हाल ही के दिनों में रामलीला मैदान पर अपने विरोधियों पर हमले करते हुए यह कहा था कि जो लोग दूसरों के लिए गड्ढे खोदते हैं उनके लिए कुआं तैयार है. अब यह देखना होगा कि पार्टी में उठ रही आवाजों के चलते पार्टी के बड़े नेता और आरएसएस इस विषय पर क्या कदम उठाते हैं.
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