विश्व के सबसे लोकप्रिय और बहुप्रतीक्षित अमरीकी राष्ट्रपति के चुनावी परिणाम घोषित हो चुके हैं. बराक ओबामा फिर से विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के शक्तिशाली पद पर विराजमान होंगे. खबरों के मुताबिक अमरीका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में ओबामा ने अपने प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन पार्टी के मिट रोमनी पर जीत हासिल कर ली है. अमरीका के राष्ट्रपति ने जीत के लिए जरूरी 270 वोट हासिल कर लिए हैं. इस जीत के साथ अफ्रीका और एशिया के कई देशों में खुशी की लहर फैल गई है.
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राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए यह लगातार दूसरा कार्यकाल होगा. इससे पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक हुसैन ओबामा ने इतिहास रचते हुए 04 नवंबर, 2008 को रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन मैक्केन को आसानी से हराकर अमरीका के पहले काला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया था. बराक ओबामा का जन्म 04 जुलाई, 1961 को हवाई में कीनियाई मुस्लिम परिवार में हुआ था. ओबामा ने 1983 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया और शुरुआत में बिजनेस इंटरनेशनल कॉरपोरेशन में नौकरी भी की. 27 साल की उम्र में उन्होंने हावर्ड में कानून की पढ़ाई की. 1992 में उन्होंने शिकागो में मिशेल रॉबिन्सन से शादी की जिनसे उनके दो बच्चे हैं. ओबामा एक राजनीतिज्ञ के तौर पर अमरीकी सीनेट में 2004 में चुने गए.
51 वर्ष के बराक ओबामा की व्यक्तिगत क्षमता यह है कि वह बहुत ही जल्दी लोगों को भांप लेते हैं और उस हिसाब से उन्हें प्रेरित करने में कामयाब हो जाते हैं. यही वजह रही कि लोग उन्हें आर्थिक विषयों पर कम नंबर देते हैं लेकिन जब व्यक्तिगत क्षमता की बात आती है तो लोग उन्हे सिर आंखों पर बैठाते हैं. पिछले सत्र में बतौर राष्ट्रपति उन्होंने एक तरफ कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, लगभग एक दशक से फरार खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अंतिम अंजाम तक पहुंचाया वहीं दूसरी तरफ कई आर्थिक फैसलों पर फेल भी हुए. उनके शासन में अमरीका भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है. कई सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी आठ प्रतिशत पर बनी हुई है.
भारत पर असर
अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव न केवल अमरीका के लिए अहम है बल्कि विश्व में मीडिया से लेकर राजनैतिक विश्लेषकों और बाजार की इस पर नजर रहती है. यही वजर रही कि जैसे ही चुनावी परिणाम ओबामा के पक्ष में रहा भारतीय बजार ने जबरदस्त उछाल मारी. रियल्टी सेक्टर से लेकर ऑटो सेक्टर में बढ़ोत्तरी देखने को मिली. विश्लेषकों का मानना है कि ओबामा की जीत से जो अटकलें लगाई जा रही थीं कि अगर रोमनी राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत-ईरान रिश्तों पर गहरा असर पड़ेगा वह अटकलें समाप्त हो गई हैं लेकिन ओबामा का लगातार आउटसोर्सिंग पर बात करना भारत के लिए चिंता का विषय है.
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