भारतीय राजनीति में अपने विरोधियों पर छींटाकशी करना अब आम हो चुका है. आजकल तो यह अपने आप को राजनीति में सक्रिय रखने के लिए फैशन हो चला है. गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने एक जनसभा में मोदी के बारे में इशारा करते हुए कहा कि बंदर शेर नहीं बन सकता. मोढवाडिया की मानें तो यहा शेर का मतलब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से है.
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वैसे यह पहली बार नहीं है जब मोदी पर किसी ने व्यक्तिगत हमला किया है. इससे पहले दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने भी इशारों इशारों में नरेंद्र मोदी को बंदर बताया था. मोदी इस कदर कांग्रेस को खटकते हैं कि एक बार सोनिया गांधी ने उन्हे मौत का सौदागर तक कह दिया था. वैसे यह नहीं कहा जा सकता कि केवल कांग्रेस ही मोदी पर व्यक्तिगत आक्षेपों की बमबारी करती है. मोदी को जब भी मौका मिलता है वह भी कांग्रेस के बड़े नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह पर चुटकियां लेना नहीं भूलते. हाल ही में उन्होंने देश में बढ़ रही महंगाई को लेकर प्रधानमंत्री को ‘मौन’ मोहन सिंह कहा. एक और बयान में उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर को ’50-करोड़ की गर्लफ्रेंड’ का खिताब दिया.
राज्य में विधानसभा चुनाव मुहाने पर खड़ा है. राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों तक सभी जोड़-तोड़ की राजनीति में जुट चुके हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. जैसा कि अकसर देखा गया है कि विरोधी पार्टियां चुनाव में पूरी पार्टी को कटघरे में खड़ा न करके किसी बड़े राजनेता को घेरने की कोशिश करती हैं. अर्जुन मोढवाडिया ने भी यही करने की कोशिश की है. वह जानते हैं कि गुजरात में मोदी बीजेपी की वजह से नहीं हैं बल्कि बीजेपी मोदी की वजह से है. इसलिए वह बीजेपी पर कम और मोदी पर ज्यादा से ज्यादा आक्षेप लगाने की कोशिश करेंगे.
अब सवाल यह उठता है कि जिस तरह से आज की कीचड़ उछालने वाली राजनीति अपनी चरम सीमा पर है कितनी सही है. क्या भारत में राजनीति की भाषा अपनी मौलिकता हो चुकी है. कुछ लोग चाटुकारिता और लोगों की सहानुभूति पाने के लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं उससे भारत की छवि विदेशों में धूमिल होती है. वैसे भी आज भारतीय राजनीति को लेकर कई सारे सवाल उठाए जा रहे हैं.
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