बॉलिवुड के पहले या फिर यूं कहें अब तक के सबसे लोकप्रिय विलेन ‘प्राण’ जिन्होंने खलनायकी को एक नया आयाम दिया आज अपने जीवन के सबसे मुश्किल और गंभीर पड़ाव से गुजर रहे हैं.
बॉलिवुड के इस वयोवृद्ध सदस्य को सांस लेने में तकलीफ के चलते पिछले शुक्रवार को लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. सुधीर दागाओकर का कहना है कि जब प्राण अपने रेगुलर चेक-अप के लिए अस्पताल आए तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी, इसीलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. अब उनकी हालत पहले से बेहतर है लेकिन फिर भी उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में ही रहना पड़ेगा.
अभिनेता बनने की कहानी
बेहतरीन खलनायकी को अलग-अलग तेवरों से पर्दे पर उतारना और दर्शकों में दहशत पैदा करना प्राण के लिए बहुत आसान था लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अभिनय की दुनिया में कदम रखेंगे क्योंकि वो तो मैट्रिक का इम्तिहान पास करने के बाद स्टिल फोटोग्राफर बनने का सपना लिए हुए दिल्ली में फोटोग्राफी सीखने में मशगूल थे. उसी दौरान कंपनी ने लाहौर में अपना कार्यालय खोला तो प्राण को वहां भेजा गया. एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात कहानीकार वली मोहम्मद से हुई. वली मोहम्मद ने प्राण से कहा कि हम [यमला जट] नाम से एक पंजाबी फिल्म बना रहे हैं और उसमें एक चरित्र की भूमिका तुम पर पूरी तरह फिट बैठती है. पहले तो प्राण ने इस बात को हल्के में लिया लेकिन बाद में वली मोहम्मद के कहने पर फिल्म में बतौर खलनायक काम करना स्वीकार कर लिया. इसके बाद प्राण ने लगभग चार दशक तक खलनायकी की लंबी पारी खेली और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. प्राण ने लगभग 350 फिल्मों में काम किया.
1997 में लाइफटाइम पुरस्कार से नवाजे गए प्राण का जन्म 12 जनवरी, 1920 को समृद्ध परिवार में हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि 1969 से 1982 के बीच प्राण को राजेश खन्ना, जो बॉलिवुड के पहले और सबसे सुपरस्टार थे, के बराबर मेहनताना मिलता था.
प्राण हिंदी फिल्म जगत के बेहद खतरनाक खलनायक के रूप में उभरे और यह साबित कर दिया कि बॉलिवुड में सिर्फ नायक ही नहीं नकारात्मक किरदार निभाने वाले नायक भी तारीफें बटोर सकते हैं. इनके बाद अमरीश पुरी, अमजद खान और ना जाने कितने ही बेहद प्रभावशाली खलनायकों का उदय हुआ.
प्राण की प्रमुख फिल्में
प्राण की चर्चित भूमिकाओं वाली फिल्में हैं – बड़ी बहन (1949), आह (1953), बिराज बहू (1954), आजाद (1955), हलाकू (1956), मुनीमजी (1955), मधुमती (1958), छलिया (1960), जिस देश में गंगा बहती है (1967), हाफ टिकट (1962), कश्मीर की कली (1964), शहीद (1965), दो बदन (1966), राम और श्याम (1967), उपकार (1967), ब्रह्मचारी (1967), जानी मेरा नाम, (1970), अधिकार (1971), गुड्डी (1971), परिचय (1972), विक्टोरिया नम्बर 203 (1972), बाबी (1973), जंजीर(1973), मजबूर (1974), कसौटी(1974), अमर अकबर एंथनी (1977), डान (1978), कालिया (1981), शराबी (1984) आदि.
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