शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का अंतिम संस्कार रविवार शाम मुंबई में किया गया जिसे देखने के लिए लाखों लोगों का हुजूम सड़कों पर उतरा. कहा जाने लगा कि बाठ ठाकरे को देखने के लिए जुटी इस तरह की भीड़ किसी और राजनेता के लिए नहीं देखी गई. इस शव यात्रा में शामिल लोगों को नियंत्रित करने के लिए मुंबई पुलिस ने अपने आप को समर्पित कर दिया. बताया जा रहा है कि करीब-करीब 48,000 पुलिसकर्मी मुंबई में तैनात किए गए.
यहा बताते चलें कि बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा में न केवल पुलिस सक्रिय थी बल्कि वहां की स्थानीय सरकार ने भी अपनी सक्रियता में किसी तरह की कोई कमी नहीं दिखाई. जिसको लेकर अब विवाद खड़ा होगा. गौरतलब है कि सरकार ने शिवाजी पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल पर बाल ठाकरे का अंतिम संस्कार करने की मंजूरी दी. विवाद इस बात पर भी है कि बाल ठाकरे का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से क्यों किया गया.
मामला यहीं तक नही रुका. बाल ठाकरे की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्ठि के बाद मुंबई के शिवाजी पार्क में उनका स्मारक बनाने की मांगें उठनी लगीं जिसको लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. दिवंगत बाल ठाकरे का स्मारक बनाए जाने के पक्ष में और खिलाफ में बहस तेज होने के बीच उद्धव ने कहा, ‘ये लाखों समर्थक स्मारक के बारे में फैसला करेंगे. मैं शिवसेना प्रमुख और शिवसैनिकों के बीच में नहीं आऊंगा. जिसके बाद शिवसेना के समर्थक चाहते हैं कि ठाकरे का स्मारक शिवाजी पार्क में ही बनाया जाए.
जानकारों का मानना है कि जब शिवाजी पार्क में शिवाजी महाराज का स्मारक पहले से है तो आप एक स्मारक के भीतर दूसरा स्मारक कैसे बना सकते हैं. इससे तो उन करोड़ो लोगों के मन को ठेस पहुंचेगा जो शिवाजी महाराज को अपने जीवन के आदर्श के रूप में देखते हैं. अगर शिवसेना के समर्थक चाहते हैं कि ठाकरे का स्मारक शिवाजी पार्क में बने तो यहां उन्हें तय करना पड़ेगा कि वह शिवाजी महाराज को चाहते हैं या बाल ठाकरे को.
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