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दूरदर्शन को अनमोल धुन देने वाला नहीं रहा

pandit ravi shankarभारत रत्न से सम्मानित और प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर का सैन डियागो के एक अस्पताल में निधन हो गया है. वह 92 साल के थे और पिछले कुछ समय से बिमार चल रहे थे. उन्हे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी तथा वह फेफड़ों के संक्रमण से भी जूझ रहे थे.


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Pandit Ravi Shankar Life: पंडित रविशंकर का जीवन

भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व कोने-कोने तक पहुंचाने वाले पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ. वह अपने सात भाइयों में सबसे छोटे थे. पंडित रविशंकर बचपन से ही संगीत के माहौल में पले-बढ़े और तरह के वाद्य यंत्रों के प्रति उनकी रुचि रही. शुरुआत में पंडित रविशंकर ने नृत्य के जरिए कला जगत में प्रवेश किया जिसमें उनके भाई उदयशंकर ने काफी सहायता की.


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पंडित रविशंकर दो शादियां कीं. पहली शादी गुरु अलाउद्दीन खान की बेटी अन्नपूर्णा से हुई, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया. उनकी दूसरी शादी सुकन्या से हुई. उनकी बेटी अनुष्का शंकर जो खुद प्रसिद्ध सितार वादक हैं. अपनी शिक्षा समाप्त होने के बाद रविशंकर ने अपना समय संगीत तैयार करने में दिया. उन्होने निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म ‘अप्पू ट्रिलॉजी’ में संगीत दिया. वह 1949 से 1956 तक ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निर्देशक भी रहे. पंडित रविशंकर का नाम इस बात के लिए भी पसिद्ध है कि उन्होंने दूरदर्शन को वह धुन (सिग्नेचर ट्यून) दिया जिसे आज भी लोग याद करते हैं. इस धुन को बनाने में उस्ताद अहमद हुसैन खान का भी योगदान था.


पंडित रविशंकर

पंडित रविशंकर का नाम भारत के ऐसे महान संगीतकार के रूप में लिया जाता है. जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विदेशों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. अपनी संगीत की वजह से ही पश्चिमी देशों में वह काफी लोकप्रिय रहे. उनके इसी योगदान को देखते हुए सरकार ने उन्हे 1999 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्हें तीन अंतरराष्ट्रीय ग्रेमी अवॉर्ड 14 मानद डॉक्ट्रेट और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया. संगीत उनके के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और उन्होंने जिंदगी भर ना सिर्फ इसका लुत्फ उठाया है बल्कि इसे महसूस भी किया है.


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