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सीबीआई से कब तक भागेंगे मुलायम जी !!

mulayam singh yadav and akhilesh yadavसंप्रग सरकार के लिए बैसाखी के रूप में अपने आप को स्थापित कर चुके मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) आजकल किसी एक वजह से बहुत ज्यादा परेशान हैं. वजह है सीबीआई का खौफ. वैसे केंद्र सरकार के होते हुए ऐसी कोई लपट नहीं है जो मुलायम के करीब पहुंच सके. लेकिन जिस तरह सुप्रीम कोर्ट उनके परिवार के उपर सीबीआई जांच के मामले को तवज्जो दे रही है उससे तो यही लगता है कि मुलायम अब ज्यादा दिन तक जांच से दूर नहीं भाग सकते.


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सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और उनके बेटों अखिलेश यादव तथा प्रतीक के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश को बरकरार रखा है. हालांकि कोर्ट ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की पुनर्विचार याचिका मंजूर करते हुए उन्हें राहत प्रदान कर दी है. प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने मुलायम, उनके पुत्र अखिलेश और प्रतीक तथा पुत्रवधू डिंपल द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. पीठ ने पिछले साल 17 फरवरी को इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी.


सितार वादक को


शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यादव परिवार के आय से अधिक संपत्ति जमा करने के मामले में 1 मार्च, 2007 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम सिंह की याचिका पर फरवरी, 2011 में ही फैसला सुरक्षित रखा था. मुलायम के खिलाफ जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में मुलायम, अखिलेश, डिंपल और प्रतीक ने आय से अधिक संपत्ति बनाई.


जानकारों का मानना है कि जिस तरह से मुलायम सिंह यादव आजकल राजनीति कर रहे उसमें कही न कही सीबीआई और केंद्र सरकार का दबाव झलकता है. वह कुछ ही पल केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं तो अगले ही पल उस मुद्दे पर समर्थन देने लगते हैं. माना जाता है कि सीबीआई के दबाव का ही फायदा उठाकर केंद्र सरकार ने कई मुद्दों पर समाजवादी पार्टी को अपने पाले में खड़ा किया है. यही समस्या मायावती पर भी लागू होती है. हाल ही में जब खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर संसद में सरकार को जीत मिली तब भी विपक्ष ने इसे एफडीआई जीत न बताकर सीबीआई की पर जीत बताई थी.


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