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मोदी के चुनावी प्रचार में इन ‘पांच तत्वों’ का अहम रोल

modi 3dगुजरात विधानसभा चुनाव अपने चरम पर है. देश की दोनों राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी गुजरात के मतदाताओं को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. इसमें बीजेपी से अलग हुए केशुभाई पटेल भी अपनी पार्टी गुजरात परिवर्तन पार्टी(जीपीपी) के साथ मैदान में हैं. पहले चरण का मतदान समाप्त हो चुका है. इस चरण में 87 सीटों पर रिकॉर्ड 68 प्रतिशत मतदान हुआ. गुजरात में दूसरे चरण के मतदान के लिए घमासान जारी है. मतदान 17 दिसंबर को होगा.


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राजनैतिक ब्रांड है मोदी

भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नरेद्र मोदी एक ब्रांड के रूप में जाने जाते हैं. देश के किसी राज्य में चुनाव हो मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हे प्रचार के लिए उस राज्य तैनात किया जाता है. हाल ही में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव मे कई रैलियां की थी. चुनाव प्रचार में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं. ऐसे समय में मीडिया भी उन्हे खास तौर पर कवरेज देती है. उनके द्वारा कही गई एक-एक बात चाहे वह किसी को हजम हो या न हो राष्ट्रीय मीडिया अपने चैनलों पर चर्चा के रूप में शामिल करती है.


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चुनावी मंच पर होता है मोदी का भव्य स्वागत

‘देखो-देखो कौन आया, गुजरात का शेर आया.’ चुनाव प्रचार करने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही किसी मंच पर चढ़ते हैं तो यही नारा गूंजता है. इसके बाद आत्मविश्वास से लबरेज मोदी अपने ‘विक्टरी’ संकेत वाली स्टाइल में हाथ हिलाकर दर्शकों का अभिवादन करते हैं और फिर भारत माता के जयकारे से शुरू हो जाती है उनकी दहाड़. उनका पहनावा और उनकी आवाज लोगों को काफी प्रभावित करता है. यही देखने और सुनने के लिए लोग दूर-दूर आते हैं.


स्थानीय मुद्दे से ज्यादा केंद्र पर हमला

जब नरेंद्र मोदी अपने मंच पर होते हैं तो उनके सामने स्थानीय मुद्दा तो होता ही है लेकिन वह अपने भाषण में केन्द्रीय सरकार (यूपीए सरकार) को चपेटे में लेना भी नहीं भूलते. ऐसा बहुत ही कम हुआ है जब नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार कर रहे हों और केंद्र के बड़े खिलाड़ियों को ललकारा न हो. वह अपने भाषण में राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी का नाम जरूर लेते हैं.


भाषण से पहले तैयारी करते हैं मोदी

जानकारों का मानना है कि चुनावी या फिर किसी अन्य तरह की रैली में जब मोदी मंच पर होते हैं तो वह अपने द्वारा कही गई एक-एक बात को ध्यान में रखते हैं. जो वह बोलना चाहते हैं वह वही बोलते हैं उससे न तो अधिक बोलते हैं और न ही कम. राजनीतिक गलियारों में होने वाली चर्चाओं पर यकीन करें तो मोदी भाषण से पहले अभ्यास करते हैं. उन्होंने पेशेवर लोगों  की एक टीम बनाई है जो उनके भाषणों पर निगाह रखती है.


मोदी का 3-डी चुनाव प्रचार

उनका चुनाव में प्रचार करने का तरीका कुछ इस तरह का होता है जैसे बह किसी बड़े बैंनर की फिल्म का प्रचार कर रहे हो. इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने प्रचार के तरीकों को हाईटेक बनाया है. पहले चरण के मतदान से पहले उन्होंने 3-डी चुनाव प्रचार के जरिए गुजरात की जनता को संबोधित किया. इसकी सफलता को देखते हुए उन्होंने इसे दूसरे चरण में भी अपनाया है. अपने प्रचार को और ज्यादा विस्तृत रूप देने के लिए उन्होंने गूगल प्लस से लेकर तमाम सोशल नेटवर्किंग साइटों का जाल पिछाया है. मोदी 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी प्रचार का नया तरीका लेकर आए थे. तब के चुनाव में मोदी ने अपने मुखौटे का प्रयोग किया था. उस वक्त भाजपा के उम्मीदवार भी मोदी मुखौटा पहनकर ही चुनाव प्रचार करते थे.

नोट: वैसे नरेंद्र मोदी प्रचार के जो नए-नए तरीके लेकर आते हैं उसके पीछे अमेरिकी एजेंसी एप्को वर्ल्डवाइड का है. इस एजेंसी ने मोदी को विकास पुरुष के तौर पर स्थापित करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए. आपको याद दिला दुं कि इसी अमेरिकी कंपनी ने बराका ओबामा के पहले चुनाव में उनके प्रचार का काम संभाला था. चुनाव में 3-डी का कॉनसेप्ट भी इसी कंपनी का है.


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