पहले चरण के बाद गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान शुरू हो गया है. इस चरण के मतदान में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े दिग्गजों के भाग्य का फैसला होने वाला है. दूसरे दौर का ये चुनाव जिस उत्तर गुजरात में हो रहा है वो इलाका मोदी का गढ़ माना जाता है. जानकारों की मानें तो दूसरे चरण में एक बार फिर मोदी इस क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब रहेंगे.
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बीते कुछ दिनों से गुजरात विधानसभा चुनाव के राष्ट्र्रीय महत्व को देखते हुए जो सर्वेक्षण निकाले जा रहे हैं उसमें नरेंद्र मोदी एक बार फिर गुजरात के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. अहमदाबाद और आस-पास के इलाकों में आम लोगों से बातचीत करने से भी लगता है कि जनता मोदी को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है. यह बात देश के खबरिया चैनल भी अपनी सर्वे में स्वीकार कर चुके हैं. तो क्या मान कर चलें कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता को संभालेंगे.
केशुभाई की गुजरात परिवर्तन पार्टी की चुनौती और कांग्रेस के पूरा जोर लगाने के बावजूद अगर मोदी जीत भी जाते हैं तो क्या सच में यह गुजरात की जीत होगी? राजनीति मुद्दों पर पकड़ रखने वालों का मानना है कि अगर मोदी जीतते हैं तो उनकी ‘समृद्ध गुजरात’ और ‘गौरवशाली गुजरात’ जैसे जुमलों की जीत होगी. जीत उस चकाचौंध की होगी जिसे मोदी ने दिखाकर अपने आप को विकास पुरुष के रूप में दर्शाने की कोशिश की है.
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इस सबके बावजूद किसी एक मोर्चे पर उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है तो वह है मानव विकास का मोर्चा. अगर सरकारी दस्तावेजों को खंगाला जाए तो पता चलता है कि मानव विकास के तकरीबन सभी मोर्चों पर अन्य राज्यों के मुकाबले गुजरात की बुरी हालत है. आवश्यक भोजन की जरूरतें पूरी न होने की वजह से राज्य में कुपोषण बढ़ रहा है. आदिवासियों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है, सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं हैं, राज्य के शिक्षकों के आय में कटौती की जा रही है, सिंचाई की सुविधा से अब भी प्रदेश के लाखों किसान महरूम हैं, लिंग अनुपात दर के मामले में प्रदेश की बुरी हालत है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भले ही नरेंद्र मोदी मानव विकास के मोर्चे में असफल साबित हों इसके बावजूद भी वह चुनाव में सफल रहेंगे. इसके पीछे की मुख्य वजह है मोदी का विकास मॉडल जिसने गुजरात के आम से लेकर खास तक को प्रभावित किया है. जिस तरह से मोदी ने अपने भाषणों और प्रचार के अलग-अलग तरीके से विकास की चकाचौंध पैदा की है उससे न केवल गुजरात के जनता की बल्कि राज्य से बाहर उन सभी लोगों की आंखें चुंधिया गई हैं जो उन्हें भविष्य में प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं.
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