Menu
blogid : 314 postid : 2143

महाकुंभ 2013: आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा

mahakumbhविश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ  इलाहाबाद के प्रयागराज में आयोजित हो चुकी है. 55 दिनों तक चलने वाले आस्था के इस मेले में करोड़ो लोग पवित्र स्थल संगम में स्नान करेंगे. परंपरा के मुताबिक शाही स्नान में सबसे पहले सुबह साढ़े पांच बजे महानिरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने डुबकी लगाई. अखाड़ों के स्नान का क्रम आज शाम साढ़े पांच बजे तक चलेगा. इस दौरान 13 अखाड़ों के करीब 3 लाख साधु स्नान करेंगे.


Read:  Hockey India League: स्टार खिलाड़ियों का जलवा


नागा साधु आकर्षण के केंद्र

संगम तट पर साधुओं का बड़ी संख्या में आना जारी है. कुंभ मेले में नागा साधु लोगों के आकर्षण के खास केंद्र होते हैं. नागा लोग विभिन्न पर्वों पर शाही स्नान के लिए निकलते हैं. गाजे बाजे के साथ साधु संतों की इस जुलूस को देखकर ऐसा लगता है जैसे हम आस्था की एक अलग ही दुनियां में आ गए हैं. महाकुंभ में तमाम विदेशी साधु संत भी आते हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं.


सुरक्षा चाक-चौबंद

सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि किसी तरह की कोई भी अनहोनी न होने पाए. मेले में करीब तीस हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं जिनमें अर्धसैनिक बलों और पीएसी की 72 कंपनियां तैनात की गई हैं. इसके अलावा आपदा नियंत्रण बल की दो कंपनियां और तीस पुलिस स्टेशन भी बनाए गए हैं. संगम तट पर बड़ी संख्या में सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मी भी तैनात हैं. 120 सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जाएगी. मेले के पास ट्र्रेफिक को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए है. पुलिस ने मेले के पास गाड़ी न लाने की सलाह दी है. इसके अलावा कुंभ मेले में यात्रियों की सुविधा के लिए नियमित बस चलाई गई है.


Read: अपने पैसे का कहां करे निवेश ?


कुछ अनोखे तथ्य

माना जा रहा है कि इस पूरे आयोजन में 1200 करोड़ रुपए का खर्चा होने वाला है. पूरे मेला क्षेत्र को बिजली मुहैया कराने के लिए 770 किमी लंबी बिजली की लाइन तैयार की गई है. लोगों की सुविधा का ध्यान रखते हुए मेला क्षेत्र में 35000 शौचालय भी बनाए गए हैं. कुंभ में करोड़ों लोगों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा से लेकर चिकित्सा तक के तमाम इंतजाम किए गए हैं


महाकुंभ का इतिहास

देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले की परम्परा क्या है और यह कितनी प्रचीन है इसका सही अनुमान लगाना कठिन है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि राक्षसों और देवताओ में जब अमृत के लिए लड़ाई हो रही थी तब भगवन विष्णु ने मोहिनी का रूप लेकर राक्षसों से अमृत पा लिया. भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरूड़ को अमृत सैंप दिया. राक्षसों और गरूड़ के संघर्ष में अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं. तब से हर 12 साल में इन सभी स्थानों में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां डुबकी लगाने से मोक्ष मिलता है.


आस्था का सैलाब

महाकुंभ में आस्था के दिव्य दर्शन तो होते ही हैं साथ ही 12 साल बाद होने वाले इस तरह के आयोजन से व्यापारियों की भी चांदी हो जाती है. अरबों रुपयों का व्यापार होता है. न सिर्फ खाने-पीने की दुकानें बल्कि होटल, रेल यात्रा, हवाई जहाज, बसें इत्यादि के जरिए करोड़ों रुपयों की कमाई होती है.

सदी के इस दूसरे महाकुंभ में इलाहाबाद के संगम तट पर ठंड का कोई असर नहीं दिख रहा. हर तरफ भरपूर उत्साह और लोगों में ऊर्जा देखी जा रही है. इस तरह के अनोखे आयोजन का अनुभव लेना बहुत ही बड़े सौभाग्य की बात है.


Read:

आस्था के महामेले में स्वागत है आपका

दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व

दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी


Tag: महाकुंभ, इलाहाबाद, गंगा, यमुना, सरस्वती, स्नान, प्रयाग, allahabad, mahakumbh, ganga, yamuna, saraswati, Maha Kumbh Mela, Allahabad ,Makar Sankranti, Maha Kumbh 2013, religion and belief.



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh