आतंकवादियों के गढ़ ‘पाकिस्तान’ पर विश्व की नजर रहती है. वहां की सरकार, सेना और आईएसआई क्या करती हैं, उनकी किस तरह की योजनाएं हैं आदि सभी बातें वैश्विक खबरें बन जाती हैं. ऐसे में जब कोई व्यक्ति हजारों की संख्या में लोगों को इकठ्ठा करके सरकार की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ आवाज उठाता है तो विश्व की राजनीति को समझने वाले इसके कई मतलब निकालते हैं. हम बात कर रहे हैं कनाडा से पाकिस्तान लौटे मौलवी ताहिर उल कादरी की जिन्होंने बहुत ही कम समय में कुछ ऐसा जादू किया कि पाकिस्तान के सभी राजनीति दल हक्का-बक्का रह गए.
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मौलवी ताहिर उल कादरी ने भ्रष्टाचार जैसे सामान्य मुद्दे को उठाकर लोगों को जगाने की कोशिश की है. लोगों से मार्च में शामिल होने का आह्वान करते हुए डॉक्टर कादरी कहते हैं “यदि आप बाहर नहीं निकले, यदि आपने मेरे हाथ मजबूत नहीं किए तो अगली पीढ़ी इस दिन पर अफसोस करेगी.” यह बिलकुल उसी तरह है जैसे भारत में अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. कादरी ने जो मुद्दा छेड़ा है उससे उन्होंने सरकार की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ समर्थन जुटा लिया है. उनकी रैली में खासी भीड़ देखी जा रही है. जो लोग पाकिस्तान पर हो रहे नियमित आतंकवादी हमले के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे वह कादरी की एक आवाज पर घरों से बाहर निकल रहे हैं.
कादरी के पीछे हजारों लोगों के समर्थन का ही नतीजा है कि आज पाकिस्तान सरकार में अफरा-तफरी का माहौल है. वहां की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को गिरफ्तार करने के आदेश दिए हैं. पाक पीएम परवेज अशरफ पर रेंटल पावर प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप हैं. कादरी ने पाकिस्तान में जाकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करके जो हिम्मत दिखाई है वह काबिले तारीफ है. क्योंकि पाकिस्तान में सेना या सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. वहां पर सार्वजनिक रूप से अपनी बात कहना अपनी मौत को न्यौता देने जैसा है. पाकिस्तान में ऐसे कई बड़े नेता हैं जिन्होंने अपनी जान ऐसे ही प्रदर्शन में गंवाई है.
प्रदर्शन के दौरान कादरी की मांग: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस्तीफा दें और तुरंत संसद को भंग किया जाए, पाकिस्तान के चुनाव आयोग का भी पुनर्गठन हो, चुनाव लड़ने के लिए जरूरी शर्तें बदली जाएं ताकि पाकिस्तान के दागी राजनीति से दूर रहें.
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लेकिन पाकिस्तान की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि इस पूरे अभियान के पीछे सेना की नई चाल है. कादरी के विरोधी उन्हें सेना के मोहरे मान रहे हैं. जानकारों का मानना है कि आने वाले मई महीने में चुनाव होने वाले हैं. लोगों में देश की खराब स्थिति को लेकर आक्रोश है. वह चाहते हैं कि देश में एक ऐसी सरकार बने जो वहां की सैन्य ताकतों के साथ-साथ आतंकवादी घटनाओं पर लगाम लगा सके. पाकिस्तान में कुछ पार्टियां ऐसी हैं जो सेना की बढ़ रही ताकतों पर लगाम कस सकती हैं. ऐसे में वहां की सेना देश में राजनीतिक उथल-पुथल चाहेगी ताकि चुनाव टल जाएं और वहां एक कमजोर अंतरिम सरकार आ जाए. फिलहाल इस्लामाबाद में प्रदर्शन स्थल पर पुलिस अधिकारियों पर हमला करने पर कोहसार पुलिस थाने में कादरी और 70 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करके गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
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