अपने दबंग मिजाज के लिए पहचानी जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कुछ ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे कांग्रेस के नेता नाराज हो गए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता में एक सरकारी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘मारने’ का विवादास्पद बयान दे डाला. ममता बनर्जी केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को आर्थिक पैकेज न दिए जाने से तमतमाई हुई थीं.
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विशेष पैकेज की मांग के तहत ममता ने अपने भाषण में कहा कि खाद के दाम काफी बढ़ गए हैं. राज्य को आर्थिक पैकेज चाहिए. वह 10 बार पीएम को बता चुकी हैं, लेकिन कोई नहीं सुन रहा है. ममता ने कहा, 2011-12 में मैं आर्थिक पैकेज के लिए पीएम से मिली, अब मैं क्या करूं? ‘क्या मैं पीएम को मारूं’? तब आप कहेंगे कि दीदी गुंडा बन गई हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र ने माकपा को कर्ज पर कर्ज लेने की छूट दी, लेकिन अब हमारी सरकार को बाजार से उधार लेने की भी अनुमति नहीं मिल रही है. वह केंद्र से भीख नहीं मांगती हैं, बल्कि राज्य का अधिकार मांग रही हैं. केंद्रीय मंत्री अक्सर केंद्रीय योजनाओं के पैसे की बात कहते हैं. केंद्रीय योजना के तहत राज्य को जो पैसा मिलता है वह आसमान से नहीं टपकता है. वह राज्य का ही पैसा है. राज्यों से प्राप्त राजस्व का जो पैसा केंद्र वसूलता है उसी को केंद्रीय योजनाओं के तहत राज्य को उपलब्ध कराता है. बनर्जी ने पेट्रोल व उवर्रक का दाम बढ़ाने तथा डीजल के मूल्य से नियंत्रण खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जमकर आलोचना की.
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आर्थिक पैकेज की मांग ममता बनर्जी उस समय से कर रही हैं जब उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से नाता नहीं तोड़ा था. और ऐसा माना भी जा रहा है कि सरकार की आर्थिक नीतियों और पश्चिम बंगाल पर ध्यान न देने की वजह से ही ममता यूपीए से अलग हुई थीं. ममता के इस बयान से कांग्रेस नेता काफी नाराज हैं. केन्द्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी ने ममता बनर्जी से इस बयान के लिए माफी मांगने को कहा.
वैसे पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने इस तरह की दबंगई दिखाई हो. पिछले दिनों सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद पश्चिम बंगाल में एक कार्यक्रम में ममता ने कहा था कि मैं किसी से डरी नहीं हुई हूं और जब तक जिंदा रहूंगी, शेरनी की तरह रहूंगी. एक बार तो उन्होंने लोकसभा में अध्यक्ष के सामने कागज उछालकर फेंका था. इनकी शख्सियत कुछ ऐसी है कि लोकतंत्र में रहने के बावजूद आलोचना बर्दास्त नहीं करतीं. ममता का यह व्यक्तित्व उनकी पार्टी के लिए प्रेरणा तो हो सकता है लेकिन लोकतंत्र के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है.
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