यह देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे जहां पर एक तरफ भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस वर्मा महिलाओं को समाज में सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करते हैं और उसे गृह मंत्रालय को सौंपते हैं तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में एक न्यायाधीश ऐसा है जो कानून से बेपरवाह होकर ऐसी करतूत करता है जिसे सुनकर शायद ही कोई न्यायाधीशों पर विश्वास करे.
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खबर है कि उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक जज पर अपने चैंबर में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा है. लड़की के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि सोमवार को जज ने अपने चैंबर में लड़की के नाबालिग होने की जांच करने के बहाने उसके कपड़े उतरवाए और उसके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की. मना करने और शोर मचाने पर जज ने लड़की को फंसाने की धमकी भी दी थी.
पुलिस ने अभी तक जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की है. पुलिस के मुताबिक, इसके लिए इलाहाबाद कोर्ट से अनुमति की जरूरत है. उधर जब लड़की ने इसकी शिकायत सिविल बार एसोसिएशन से की तो वकील भड़क गए. वकीलों ने जज की गिरफ्तारी को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया और उनके चैंबर में तोड़फोड़ की. गौरतलब है कि इससे पहले 21-वर्षीय एक अन्य युवती ने भी उक्त जज पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था.
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भारत में विभिन्न कार्यालयों में महिलाओं के साथ बदसलूकी और छेड़छाड़ कोई नया मामला नहीं है. लेकिन जब न्याय की मूर्ति माना जाने वाला न्यायाधीश इस तरह की करतूत करता है तो फिर उत्पीड़न की शिकार महिलाएं किससे उम्मीद करें. जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं तब हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आखिर गलती कहां हो रही है क्योंकि सख्त कानून की मांग तो उठ रही है फिर भी लोगों की सोच में बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है.
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