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ये नहीं चाहते थे कि आतंकवादी कसाब को फांसी हो

kasabकांग्रेस विरोधी राजनीति करने वाले जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के दो सदस्यों को लेकर एक ऐसा खुलासा किया है जिसका संबंध देश की जनता के भावनाओं से है. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के हवाले से सुब्रमण्यम ने बताया कि एनएसी के दो सदस्यों (अरुणा रॉय एवम हर्ष मंदर) ने मुंबई हमलों के गुनहगार अजमल आमिर कसाब को बचाने की कोशिश की थी. अरुणा रॉय उन सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लाने के लिए लड़ाई लड़ी थी.


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इंग्लिश न्यूज पेपर ‘द पायनियर’ की खबर के मुताबिक आरटीआई से साफ हुआ है कि एनएसी की मौजूदा सदस्या अरुणा रॉय और पूर्व मेंबर हर्ष मंदर ने कसाब की फांसी की सजा माफ करने की मांग की थी. सोशल ऐक्टिविस्ट निखिल डे भी कसाब की फांसी की सजा माफ करने की अपील करने वालों में से एक थे, मगर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद बीते साल 21 नवंबर को गुपचुप तरीके से कसाब को फांसी दे दी गई थी.


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इस बारे में जब पायनिर ने हर्ष मंदर से बात की, तो उन्होंने एक आर्टिकल भेजा. उस आर्टिकल में लिखा था, ‘बेशक 26/11 मुंबई हमला मामले में अजमल कसाब का ट्रायल एकदम फेयर था, लेकिन मुझे लगता है कि उसे फांसी की सजा लोगों के गुस्से को देखते हुए सुनाई गई थी. मैंने सजा माफी की बात नहीं की थी, सिर्फ फांसी की सजा माफ करने की अर्जी दी थी’. वहीं अरुणा रॉय ने तो इस बारे में बात नहीं की, मगर सोशल एक्टिविस्ट निखिल डे बताया, ‘मैं और अरुणा रॉय किसी को भी मौत की सजा के पक्ष में नहीं हैं. हमारा मानना है कि किसी को भी फांसी की सजा की बजाए लंबे समय तक जेल में रखना चाहिए.


26/11 मुंबई हमले में सैकड़ों लोगों की जानें चली गई थीं जिसमें आम जनता से लेकर देश के जवान भी शामिल हैं. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस दिल दहला देने वाली घटना में एक आतंकवादी अजमल कसाब पकड़ा गया था. यह एक ऐसी घटना थी जिसने देश की भावनाओं को काफी ठेस पहुंचाया. देश में सभी वर्गों की मांग थी कि पकड़े गए आतंकवादी को जल्द से जल्द फांसी दी जाए लेकिन मामले के राजनीतिकरण होने की वजह से फांसी की तारीख आगे टलती रही. आखिरकार पिछले साल नवंबर महीने में कसाब को फांसी दे दी गई.

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