भारतीय राजनीति में सत्ता बनने से लेकर बिगड़ने तक में युवाओं की एक अहम भूमिका है. यही एक ऐसा वर्ग है जिस पर कारोबारियों से लेकर नेताओं तक की नजर है. आज देश की राजनीतिक पार्टियां यह समझ चुकी हैं कि वह बहुत दिनों तक जाति और धर्म को लेकर राजनीति नहीं कर सकतीं इसलिए उन्हें किसी ऐसे वर्ग को टारगेट करना है जो उनकी पार्टी को सत्ता के शिखर तक ले जाए.
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हाल के दिनों में अगर देखें तो भारतीय राजनीति में युवाओं को अपने साथ जोड़े जाने की बात कही जा रही है. भारतीय जनता पार्टी को भी एहसास हो चुका है कि वह ज्यादा दिनों तह हिन्दुत्व के मुद्दे पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकती इसलिए उसे किसी वर्ग को चुनना होगा. इसी के मद्देनजर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्रों के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी रूबरू होकर अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
जानकारों की मानें तो देशभर में मोदी की छवि में बदलाव देखने को मिल रहा है. लोग खासकर युवा उन्हें कट्टर छवि वाले नेता से अलग हटकर एक ऐसे नेता के रूप में देख रहे हैं जो एक विकास पुरुष और प्रधानमंत्री के रूप में उपयुक्त उम्मीदवार हैं. माना जा रहा है कि मोदी अब ऐसे कार्यक्रमों के जरिए अपनी कट्टर छवि हटाकर युवाओं के बीच अपनी पैठ एक विकासपुरुष के तौर पर बनाना चाहते हैं. दरअसल मोदी एसआरसीसी में देश के युवाओं के साथ संवाद कर ये बताने में लगे हैं कि वे ही देश के युवाओं के लिए आइकॉन हैं. माना जा रहा है कि वे आने वाले दिनों में ऐसे कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हैं.
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वैसे कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी की राजनीति भी इन्हीं युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने पिछले कई चुनाव भी इन्हीं युवाओं के भरेसे लड़े हैं, लेकिन अभी तक उनके दिल में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कई तरह के शोध से यह साफ हो गया है कि देश का युवा राहुल को 2014 में नेतृत्व करता हुआ नहीं देखना चाहता.
हाल के दिनों में देखें तो युवाओं की सोच में काफी बदलाव देखा गया है. दकियानूसी बातों पर ज्यादा ध्यान न देकर यह वर्ग समाज के हरेक वर्ग का उत्थान होता देखना चाहता है. यह युवा वर्ग अपने देश में जाति और धर्म को लेकर राजनीतिक दलों के बहकावे में नहीं आना चाहता बल्कि विकसित देशों की तरह वह तमाम सुविधाएं पाना चाहता है जिनका वह हकदार है.
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