2012 में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री बने तब यह कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश राज्य से गुंडाराज खत्म कर दिया जाएगा. ऐसा तो नहीं हुआ उलटे अखिलेश ने अपने पिता की उस परंपरा को अपना लिया जहां पर दागियों और अपराधियों को मंत्री बनाकर उनका पुनर्वास किया जाता है.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में गोंडा के विधायक विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह को मंत्री बनाया है. आपको बता दें कि पंडित सिंह वही व्यक्ति है जिसने आधी रात को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसपी सिंह को उनके घर से उठा लिया था और घंटों उनके साथ बदसलूकी की.
जहां सरकार को इस नेता से अपने आप को दरकिनार करना चाहिए था वहां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उसका बचाव करते हुए यह कहते हुई नजर आए कि जांच रिपोर्ट आने से पहले किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. माना कि हमारा संविधान कहता है कि जब तक किसी को सजा न हो उसे अपराधी न माना जाए मगर वह यह तो नहीं कहता कि बड़े और जघन्य अपराधों के आरोपितों को लाखों-करोड़ों लोगों के भाग्य का विधाता बना कर रखा जाए.
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एक व्यक्ति को जब तक उसका अपराध सिद्ध न हो अपराधी न मानना अलग बात है, लेकिन इस पर कोई कानूनी फैसला आने तक उसे सरकारी खजाने और लोगों के अच्छे-बुरे की चाबी सौंप देना कितना सही है? अगर बाद में वह अपराधी साबित हो जाता है तो, तब तक क्या वह देश और जनता का काफी नुकसान नहीं कर चुका होगा.
वैसे अखिलेश सरकार के लिए आरोपितों को संरक्षण देना कोई नई बात नहीं. उन्होंने वहीं काम किया है जो उनके पिता मुलायम सिंह यादव किया करते थे. अखिलेश जब गद्दी पर बैठे उसके तीन महीने के भीतर ही जेल में बंद कई अपराधियों को बाहर पहुंचाने का बंदोबस्त कर दिया गया था. राजा भैया को मंत्री बनाकर जो शुरुआत हुई थी वह रुकी नहीं. 15 मार्च, 2012 को अखिलेश का शपथ ग्रहण हुआ और 17 मार्च तक अमरमणि त्रिपाठी और अभय सिंह जैसे अपराधियों का उनके गृह जिलों में पुनर्वास कर दिया गया. अभय सिंह के ऊपर लगा गुंडा एक्ट सरकार के इशारे पर वापस ले लिया गया है.
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