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आतंकवादी है, फिर भी राजनीति

afjalसंसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने से पहले भारत के राजनीतिक दल जोड़-तोड़ की राजनीति कर रहे थे अब जबकि उसे फांसी दे दी गई है फिर भी राजनीतिक दल अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं. जहां पहले कांग्रेस पर यह आरोप लग रहा था कि वह अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को देखते हुए एक आतंकवादी के फांसी के मुद्दे को टाल रही है और अब उस पर यह आरोप लग रहा है कि कांग्रेस ने अफजल गुरु को फांसी इसलिए दी क्योंकि इस मुद्दे के सहारे उसने 2014 के लिए अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश की है.


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कांग्रेस पर इस बात को लेकर भी निशाना साधा जा रहा है कि वह अफजल को फांसी देकर विपक्ष के सबसे मजबूत और टिकाऊ मुद्दे को समाप्त कर देना चाहती है. जानकारों का मानना है कि कांग्रेस को इस मु्द्दे से आने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा दिख रहा रहा है. हो भी सकता है कि कांग्रेस को यह लग रहा हो कि वह अफजल के फांसी के मुद्दे को और ज्यादा दिन तक लटका नहीं सकती इसलिए भविष्य में चुनाव को देखते हुए फांसी देने का यह समय उसके लिए उचित रहेगा.


वैसे ऐसा नहीं है कि केवल राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां ही इस मुद्दे पर अपना नफा-नुकसान देख रही हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने पर राजनीति करते नजर आए. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आखिर अफजल को जल्दबाजी में फांसी क्यों दी गई जबकि राजीव गांधी के हत्यारे और मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे अभी भी जिंदा है. वहीं इसके विपरीत उमर के पिता फारूख अब्दुल्ला ने साफ कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही फांसी दी गई है. शायद उमर को यह लग रहा है कि इस मुद्दे का फायदा राज्य की विपक्षी पार्टी न उठा ले. उमर अपने इस बयान से कुछ अलवागवादी लोगों के लिए हीरो तो बन गए लेकिन देश की जनता को निराश भी कर दिया.


अब सवाल उठता है कि क्या इस संवेदनशील मुद्दे पर पक्ष से लेकर विपक्ष तक को राजनीति करनी चाहिए ? हम यह क्यों भूल जाते हैं कि आतंकवादियों का संबंध किसी भी धर्म से नहीं होता, उनका तो विश्व में अशांति फैलाना ही मुख्य मकसद होता है. अफजल गुरु भी एक ऐसा ही आतंकवादी था जिसने अपने दिल में भारत के लोकतंत्र को तहस-नहस करने के नापाक इरादे पाल रखे थे. अगर वह और उसके साथी इसमें कामयाब हो जाते तो देश का कितना बड़ा नुकसान होता.


आज अगर भले ही देर से अफजल गुरु को फांसी होती है तो उस पर राजनीति न करके देश की न्याय व्यवस्था को सलाम करना चाहिए जिसने ऐसे आतंकवादी के लिए फांसी की सजा मुकर्रर की.


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