आने वाले समय में लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां चुनावी मुद्दों की फेहरिस्त तैयार कर रही हैं ताकि अपने विरोधियों पर राजनीतिक हमला किया जा सके. इसी के मद्देनजर जहां एक तरफ केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय एवं राष्ट्रीय जनसहयोग की ओर से शरीर में आक्सीजन संचरण और खून बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ ही मुर्गा व गाय का मांस खाने की सलाह दी जा रही है तो दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी पार्टी इसे भावनात्मक मुद्दा मानकर सरकार को घेर रही है. मंत्रालय की ओर से बाकायदा उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में पुस्तिका वितरित किए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि मेरठ के मवाना में यह मामला सामने आने पर गोमांस खाने की सलाह पर बुधवार को बीजेपी नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा. अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का घेराव कर बीजेपी ने भारी विरोध किया. बीजेपी ने आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे को उठाने की घोषणा की है.
इस बीच उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने केन्द्र सरकार पर गोमांस खाने को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए पोषण पत्रिका से अनावश्यक तथ्य हटाने की मांग की. बुधवार को जारी बयान में उन्होंने भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निर्देशित/संचालित राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास संस्थान द्वारा प्रकाशित पत्रिका पोषण में शरीर की जरूरत के लिए लोहे की कमी को पूरा करने के लिए गाय का मीट सूचीबद्ध करने पर घोर आपत्ति की है.
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही धार्मिक प्रतीकों को लेकर संवेदनशील रही है. उनके चुनावी मुद्दों में बछड़ा बचाओ अभियान एक प्रमुख मुद्दा है. मध्य प्रदेश में तो गाय का मांस खाने वालों के खिलाफ कानून भी है जिसमें व्यक्ति को सात साल की कैद के साथ-साथ 5,000 रुपये का आर्थिक दंड देना पड़ सकता है.
भारतीय संस्कृति में गाय करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. हिन्दू वर्षों से गाय को माता मानकर पूजा करते आ रहे हैं. ऐसे में सरकार अल्पसंख्यकों को गाय का मांस खाने की सलाह देती है तो वह करोड़ों हिंदुओं की आस्था के साथ खिलावड़ करेगी तो उसे आने वाले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
वैसे भी आतंकवादी अजमल कसाब और अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं था जिसे वह भावनात्मक रूप दे सके. गाय निःसंदेह हिंदू धर्म के पवित्र चिह्नों में से एक है और इसे भारत देश में किसी तरह की हानि पहुंचाने की सख्त मनाही है. ऐसे में गाय पर संकट को धर्म पर संकट के तौर पर देखा जाता है और राजनेता इसे भुनाने की कोशिश करते हैं.
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