देश के 11 मजदूर संगठनों की महंगाई, बेरोजगारी और श्रम नीतियों के खिलाफ दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल खत्म हो चुकी है. बंद के दौरान पूरे देश में इसका मिला-जुला असर देखने को मिला. जहां राजधानी दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में लोग हड़ताल से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए वहीं देश के कुछ अन्य हिस्सों में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला. देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन हिंसा और सार्वजनिक सपंत्तियों के नुकसान जैसी वारदात भी देखने को मिली.
दिल्ली
राजधानी दिल्ली में लोगों ने हड़ताल से अपने आप को दूर रखा. सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, रेल यातायात और हवाई उड़ानें सामान्य रहीं तथा वित्तीय संस्थान और निजी तथा सरकारी कार्यालय खुले रहे. बैंक भी खुले रहे लेकिन इनमें कामकाज नहीं हुआ. हालांकि हड़ताल के दौरान ऑटो और बस कम संख्या में चले जिससे लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा.
मुंबई
आर्थिक राजधानी मुंबई में यातायात, लोकल रेल और हवाईसेवा पर कोई असर नहीं हुआ जबकि बैंक बंद रहे जिससे कामकाज ठप्प रहा. हालांकि शेयर बाजार और दुकानें तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले रहे.
बिहार
बिहार में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने पटना के राजेन्द्र नगर टर्मिनल, पटना जंक्शन, जहानाबाद, किशनगंज और आरा समेत कई स्टेशनों पर धरना देकर ट्रेन यातायात को बाधित किया. पटना में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर पूरी तरह से जाम कर दिया था. बंद का असर वहां के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज पर भी पड़ा.
उत्तर प्रदेश में व्यापक असर
देशव्यापी बंद का सबसे अधिक असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिला. यहां उग्र भीड़ ने हिंसा का रूप ले लिया. नोएडा के फेज़-2 में नौ गाड़ियां आग के हवाले कर दी गईं जबकि कपड़े के दो कारखाने जला दिए गए. आगजनी और हिंसक झड़पों में 15 लोग घायल हो गए. कुछ पुलिसकर्मियों को भी चोटें भी आईं. इस बीच नोएडा में पुलिस ने हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 32 लोगों को गिरफ्तार किया. बंद का असर राज्य के दूसरे जिलों में भी देखने को मिला.
पंजाब में यूनियन लीडर की मौत
बंद के दौरान पंजाब के अंबाला में एक मजदूर नेता की मौत एक बस को रोकने के दौरान बस के नीचे आने से हो गई. इस बीच गुस्साए प्रर्दशनकारियों ने काफी हंगामा किया.
कोलकाता: बंद पर ममता सख्त
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने कर्मचारियों को हड़ताल में शामिल नहीं होने देने के लिए चेतावनी जारी की. उन्होंने तो चुनाव आयोग ने मांग भी की कि वह उन पार्टियों को बैन कर दें जो बंद बुलाती हैं. कोलकाता में पहली बार बंद का बहुत कम असर देखा गया.
केरल में भी असर
हालांकि बंद का असर वामपंथियों के गढ़ केरल में ज्यादा देखने को मिला. केरल में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं नहीं के बराबर रहीं. व्यावसायिक प्रतिष्ठान और स्कूल कॉलेज भी बंद रहे. हालांकि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने साफ किया कि काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों का वेतन काट लिया जाएगा.
त्रिपुरा में जन जीवन ठप
बंद का असर त्रिपुरा के जन जीवन पर भी देखने को मिला. दुकानों और परिवहन के अलावा हड़ताल का सरकारी दफ्तरों, रेल सेवा, बैंक तथा बीमा क्षेत्र पर भी असर पड़ा.
कारोबारियों के संघ एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के मुताबिक दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल से भारतीय अर्थव्यवस्था को 26 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ हो.
अब लाख टके का सवाल यह है कि बार-बार हो रहे इस तरह के बंद से आखिरकार किसको फायदा हो रहा है. जिसके हित के लिए यह बंद किया जाता है क्या उसकी समस्याओं का हल निकल जाता है. जानकारों की मानें तो इस तरह के बंद से भले ही सरकार कुछ मामूली घोषणाएं कर देती है जिससे बंद का आह्नान करने वाली पार्टी भी जनता के सामने हीरो बन जाती है लेकिन सरकारी संपत्ति और हजारों करोड़ों रुपए की संपत्ति के आगे ऐसी तुच्छ घोषणाओं का कोई महत्व नहीं रह जाता.
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