जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है राजनीतिक हलकों में गहमा-गहमी बढ़ गई है. पार्टी स्तर पर हर कोई इस बात की समीक्षा कर रहा है कि वह कितने पानी में है. बढ़ते घोटाले और महंगाई की वजह से जहां सत्ता पार्टी कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है वहीं बीजेपी की हालत विपक्ष में होने की वजह से कुछ बेहतर कही जा सकती है.
वैसे हाल के दिनों में बीजेपी की स्थिति में जो बदलाव देखा गया इसके पीछे एक व्यक्ति की लोकप्रियता का बहुत ही बड़ा हाथ है और यह व्यक्ति हैं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi in Hindi). अब इसमें चाहे उनकी विकासपुरुष की छवि हो या फिर मीडिया का उनके प्रति हद से ज्यादा एक्टिव होना. 2002 दंगों के बाद मोदी ने बहुत ही कम समय में जिस तरीके से अपनी छवि में सुधार किया उनकी पार्टी के साथ-साथ उनके कट्टर विरोधी भी उन्हें भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगे हैं.
दारुल उलूम देवबंद के पूर्व कुलपति गुलाम मुहम्मद वस्तानवी ने कहा कि अगर देश नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर चुनता है तो मुसलमानों को इससे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इससे पहले भी कई मुस्लिम संगठन भी मुख्यमंत्री मोदी के समर्थन में इस तरह की बातें कर चुके हैं. अब सवाल उठता है कि भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री के रूप में मुख्य उम्मीदवार माने जाने वाले नरेंद्र मोदी ने बीते कुछ सालों में ऐसा क्या किया जिससे समाज से जुड़ा हर वर्ग मोदी की ही माला जप रहा है.
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भाजपा के राजनैतिक ब्रांड
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नरेंद्र मोदी एक ब्रांड के रूप में जाने जाते हैं. देश के किसी भी राज्य में चुनाव हों मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें प्रचार के लिए उस राज्य में तैनात किया जाता है. मोदी में वह क्षमता है जिसकी वजह से भीड़ उनकी ओर आकर्षित अपने आप हो जाती है. उनकी इसी क्षमता की वजह से मीडिया भी उन्हें खास तौर पर कवरेज देती है. उनके द्वारा कही गई एक-एक बात चाहे वह किसी को हजम हो या न हो राष्ट्रीय मीडिया अपने चैनलों पर चर्चा के रूप में शामिल करती है.
विकास पुरुष की छवि
हाल के वर्षों में भारत में विकास पुरुष का दर्जा अगर किसी राजनेता को मिला है तो वह हैं नरेंद्र मोदी. लोगों का मूड भांपते हुए पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोदी इसी हथियार के आधार पर राजनीति कर रहे हैं. उनकी इसी विकासपुरुष की छवि को भाजपा देश-विदेश में भुना रही है. गुजरात राज्य के विकास को आधार मानकर भाजपा नेता लोगों से वोट मांगते हैं. यह बात अलग है कि मानव विकास के तकरीबन सभी मोर्चों पर गुजरात की हालत बुरी है.
मार्केटिंग का माहिर नेता
जिस तरह से मोदी ने विकास के प्रतीक पुरुष के तौर पर खुद की छवि गढ़ी है उसका एक अहम पहलू यह भी है कि वे तमाशे में माहिर हैं. उनकी सरकार जो भी करती है उसकी बड़े स्तर पर मार्केटिंग की जाती है और उसे मोदी के साथ जोड़ दिया जाता है.
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भाजपा के एक बड़े वर्ग की मांग
प्रधानमंत्री को लेकर भले ही भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने पत्ते नहीं खोले हों लेकिन भाजपा का एक बड़ा वर्ग उन्हें प्रधानमंत्री के संभावित और सशक्त उम्मीदवार के तौर पर देखता है. भाजपा के कार्यकर्ता किसी ऐसे नेता के अंतर्गत काम नहीं करना चाहते जिस पर पहले से भ्रष्टाचार के आरोप हैं. उन्हें तो ऐसा नेता चाहिए जिसके पास देश के भविष्य को लेकर कोई सोच हो और यह चीज वह मोदी में देखते हैं.
मोदी के भाषण का एक अलग आकर्षण
जानकारों का मानना है कि चुनावी या फिर किसी अन्य तरह की रैली में जब मोदी मंच पर होते हैं तो उनके द्वारा कही गई एक-एक बात को बड़े ध्यान से सुना जाता है. वह बहुत ही व्यवस्थित होकर सुलझे हुए दिमाग से भाषण देते हैं. वह कोशिश करते हैं कि उनकी द्वारा कही गई एक-एक बात से उनकी या उनकी पार्टी की छवि पर कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा. ऐसा माना जाता है कि मोदी भाषण से पहले अभ्यास करते हैं. उन्होंने पेशेवर लोगों की एक टीम बनाई है जो उनके भाषणों पर निगाह रखती है.
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