भले ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेद्र मोदी (Popularity of Narendra Modi) मिशन प्रधानमंत्री को ध्यान में रखकर मुसलमानों को रिझाने में लगे हों, उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए लगातार उनके आयोजनों में जा रहे हों, लेकिन अभी भी ऐसी बहुत सारी संस्थाएं हैं जहां मोदी को एक राजनेता के रूप में स्वीकारना बर्दास्त नहीं है. अभी भी मोदी को गुजरात में 2002 में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़के दंगे की अनदेखी करने का आरोपी माना जा रहा है.
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वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम द्वारा बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी का भाषण रद्द करने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को व्याख्यान के लिए निमंत्रण भेजना इसी बात को दर्शाता है कि मोदी के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है. वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रस्तावित मोदी के भाषण का पहले से ही कुछ छात्र और प्रोफेसर विरोध कर रहे थे.
क्या है वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम?
वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम (Wharton India Economic Forum) की स्थापना 1996 में की गई. यह अमरीका में एक तरह का बिजनेस स्कूल है जहां पर विद्यार्थी भारत पर आधारित बिजनेस फोरम चलाते हैं. वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम अमरीका में भारत पर आधारित एक बड़ा आर्थिक और कारोबारी सम्मेलन है. इस फोरम में 800 से भी ज्यादा लोग भाग लेते हैं जिसमें कई बड़ी हस्तिया भी शामिल रहती हैं. इस सम्मेलन को भारत सहित दुनिया के कई बड़े मीडिया समूह कवरेज देते हैं.
भारत की तरफ से पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, मुकेश और अनिल अम्बानी, अनिल कपूर जैसी हस्तियां शामिल हो चुकी हैं. इस बार केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा, अदानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदानी, अभिनेत्री शबाना आजमी, कवि एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर को शामिल किया गया है. यह सम्मेलन 23 मार्च को शुरू होगा.
तमाम तरह की लोकप्रियता के बाद भी मोदी आज कहीं भी भाषण देने की योजना बनाते हैं तो उन्हें कई तरह के विरोध का सामना करना पड़ता है. पिछले दिनों जब मोदी को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेज श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स के फेस्टिवल में बुलाया गया था तो उस समय भी उन्हें विरोध झेलना पड़ा. हालांकि उन्होंने विरोध के बावजूद अपना भाषण दिया. इलाहाबाद के कुंभ मेले में भी मोदी के पहुंचने को लेकर विरोध किया गया था.
अब सवाल उठता है कि इतने सारे विरोध के बावजूद भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता आखिरकार क्यों बढ़ रही है, क्यों देश की आम जनता उनसे उम्मीद लगाए बैठी है? जानकारों की मानें तो मोदी की प्रतिष्ठा बढ़ने के पीछे सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. इनका मानना है कि विकास पुरुष की छवि जो मोदी ने बनाई है उसमें भी कहीं न कहीं मीडिया का हाथ है. लेकिन मोदी के समर्थक इस बात से इंकार करते हैं. उनका मानना है कि मोदी ने अपने काम की वजह से लोकप्रियता हासिल की है. उनके अनुसार मोदी की लोकप्रियता देखकर कई राजनीतिक दल इससे घबराए हुए हैं इसलिए उनकी छवि को खराब करने के लिए अलग-अलग राजनीतिक हथकंडा अपनाते हैं.
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