Menu
blogid : 314 postid : 2372

खतरे में भारतीय विदेश नीति

india shrilankaबीते कुछ दिनों से जारी यूपीए सरकार और क्षेत्रीय दलों के बीच जोड-तोड़ की राजनीति के बाद आखिरकार भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में गुरुवार को तमिलों के मुद्दे पर अमेरिकी प्रस्ताव के पक्ष में और श्रीलंका के खिलाफ वोट दे ही दिया. इस प्रस्ताव को भारत के अलावा सिएरा लीयोन तथा ब्राजील सहित कुल 25 मतों के बहुमत के साथ स्वीकार किया गया जबकि प्रस्ताव के विरोध में पाकिस्तान, वेनेजुएला, इंडोनेशिया, फिलिपींस और थाईलैंड सहित 13 मत पड़े. आठ सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया.


Read: किसके हिस्से कितना पानी


ये प्रस्ताव श्रीलंका की राजपक्षे सरकार को कठघरे में खड़ा करता है जिसके तहत 2009 में लिट्टे को शिकस्त देने के लिए छिड़े युद्ध में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कही गई है. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही इसी मुद्दे पर यूपीए की महत्‍वपूर्ण सहयोगी डीएमके ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था जिससे भारत में राजनीतिक हलचल बढ़ गई. माना यह जा रहा है कि डीएमके और घरेलू राजनीति के दबाव में भारत ने ये कदम उठाया है. भारत के इस तरह के फैसले ने श्रीलंका के साथ बरसों पुराने संबध पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है.


श्रीलंका के खिलाफ मत देने का मतलब है भारत ने एक ऐसा विश्वस्त पड़ोसी खो दिया है जो हर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का साथ देता रहा है. यह तय है कि इस मत से भारत-श्रीलंका के कूटनीतिक, आर्थिक, राजनैतिक संबंध प्रभावित होंगे. भारत के इस मत ने श्रीलंका के सामने उन देशों के लिए दरवाजे खोल दिए जो भारत को बड़ा दुश्मन मानते हैं. भारत की कमजोर विदेश नीति की वजह से आज चीन और पाकिस्तान की गतिविधियां श्रीलंका में ज्यादा बढ़ गई हैं.


ऐसा नहीं है कि क्षेत्रीय दलों के रूप में केवल डीएमके ने ही अपने राजनैतिक हथकंड़ों की वजह से भारत की विदेश नीति को प्रभावित किया हो. केंद्र से अपना समर्थन वापस ले चुकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी भी तीस्ता नदी जल बंटवारे पर बांग्लादेश के खिलाफ भारत की विदेश नीति को प्रभावित कर चुकी हैं. भारत-बांग्लादेश तीस्ता नदी विवाद बहुत ही पुराना है, ममता बनर्जी ने इसे और हवा दे दिया.


अगर पिछले कुछ सालों पर नजर डालें तो भारत सरकार का रवैया विदेश नीति को लेकर काफी ढीला रहा है. सरकार पर विपक्ष के लोग यह आरोप भी लगाते हैं कि विदेश नीति के मामले में वह बहुत अधिक अमेरिकापरस्त हो गई है. आरोप यह भी है कि अमेरिका के चक्कर में हमने ईरान और रूस को भी नाराज कर दिया है.


Read: ज्यादा बोलोगे तो सीबीआई भेज दूंगा


ईरान के साथ हमारे हमेशा से मित्रता के संबंध रहे हैं. ईरान ही एक ऐसा देश है जिसके जरिए हम अफगानिस्तान और मध्य एशिया जाते हैं. ईरान से भारत को काफी तेल मिलता है. लेकिन ईरान को भी भारत ने नाराज कर दिया. रूस को भारत हमेशा से अपना सबसे अच्छा मित्र मानता रहा है लेकिन सरकार का झुकाव अमेरिका की तरफ  होने की वजह से आज हमारा सबसे अच्छा मित्र हमारे सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान के यहां जा रहा है. इस तरह से भारत धीरे-धीरे अपने पुराने मित्रों से दूर होता जा रहा है.


आज अगर भारत ने क्षेत्रीय दलों के दबाव में श्रीलंका के खिलाफ मत दिया है तो कल को यदि पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र महासभा या संयुक्त राष्ट्र परिषद में उठाता है तब शायद यही मित्र देश भारत के खिलाफ होकर पाकिस्तान के समर्थन में मत डाल सकते हैं.


Read:

ममता और करुणा के लायक नहीं सरकार


Tag: UNHRC, Lankan government, DMK slams govt , India voted, India votes against Sri Lanka in UN resolution,  political pressure, domestic political pressure, भारत श्रीलंका संबंध, राजनैतिक दबाव.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh