लोकसभा चुनाव 2014 नजदीक आते देख पूरे देश की नजर उस व्यक्ति पर है जो आने वाले समय में अपनी क्षमता, काबीलियत और करिश्माई नेतृत्व से मुल्क की दिशा और दशा तय करेगा. इसी कसमकस में दो राष्ट्रीय दलों के दो बड़े नेता बीजेपी के नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राहुल गांधी आजकल जनता के सामने जाकर भविष्य को लेकर अपनी सोच से अवगत करा रहे हैं.
पिछले दिनों दोनों राष्ट्रीय दलों के दो बड़े नेताओं ने अलग-अलग कार्यक्रमों में विकास को लेकर अपने-अपने विचार रखे. कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार राहुल गांधी ने जहां अपने भाषण में देश की समस्याओं का हल निकालने के लिए एक व्यक्ति की जगह सामूहिकता पर जोर दिया वहीं नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में गुजरात के विकास मॉडल को देश के विकास के साथ जोड़ने की कोशिश की.
बिजनेस समूह सीआईआई के सामने राहुल गांधी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “आप किसी एक व्यक्ति को सारी शक्तियां दें भी देते हैं तो वह एक अरब लोगों की समस्याओं को नहीं सुलझा सकता. अगर आप मनमोहन सिंह या किसी और से उम्मीद करते हैं कि वो सभी समस्याओं को सुलझा देगा तो आप उम्मीद करते रहिए. सम्मिलित विकास की बात दोहराते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भारत की आर्थिक नीति का आधार सामूहिक सहभागिता होनी चाहिए.
वहीं बात जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की की जाए तो उनका भाषण गुजरात विकास मॉडल के ईर्द-गिर्द रहा. उनका कहना था कि हमने विकास के काम करके गुजरात का कर्ज उतार दिया है और अब देश का कर्ज उतारना बाकी है. उद्योगपति व शिवा सीमेंट के मुख्य प्रबंध निदेशक आर पी गुप्ता की पुस्तक ‘टर्न अराउंड इंडिया’ का विमोचन करने के बाद मोदी ने कहा कि गुजरात ने देश-दुनिया को विकास करके दिखा दिया है कि माहौल व हालात कैसे भी हों काम किया जा सकता है.
लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौड़ में आगे रहने वाले इन दोनों नेताओं के भाषणों पर यदि गौर फरमाएं तो दोनों ने हर बार की तरह कुछ नया नहीं कहा. फिर भी यदि राहुल के भाषण को देखें तो इस बार उनके तेवर थोड़े बदले हुए थे. उन्होंने देश के सामने कई सारी समस्याएं रखीं लेकिन उसका हल अकेले खोजने की बजाय सबको साथ लेकर चलने की बात कही. गौर करने वाली बात रही कि जो परिवार शुरू से व्यक्तिवाद के भरोसे सत्ता हासिल करता आ रहा है उस परिवार के युवराज ने निचले तबके को सत्ता में भागीदार बनाने की बात कही.
जबकि नरेद्र मोदी ने अपने भाषण से देश की जनता को एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश की कि गुजरात के रास्ते ही देश का विकास संभव है. पिछले कुछ सालों से गुजरात के बारे में मीडिया और बाजार ने जिस तरह की छवि गढ़ी है मोदी वही चीज अपने भाषण के जरिए दोहरा रहे हैं. इन दोनों के भाषणों से यह साफ है कि देश की राष्ट्रीय पार्टियां आगामी चुनाव को लेकर अपनी कमर कस चुकी हैं. ऐसे में ये दल आगे भी इन्हीं ब्रांडों के सहारे देश को सुनहरे सपने दिखाने का काम करेंगे.
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