पिछली बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी आजकल केंद्र की यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार के आगे मजबूर, हताश और बेचैन दिखाई दे रही है. पार्टी किस कदर अपने आप को दबी-कुचली हुई महसूस कर रही है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पार्टी के मुखिया मुलायाम सिंह यादव रह-रहकर केंद्र सरकार पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. यही नहीं वह कांग्रेस के विरोधियों की भरपूर तारीफ भी कर रहे हैं.
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार को समर्थन देने वाले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह ने एक फिर कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया. बुधवार को लखनऊ में पार्टी की एक बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि “सरकार से लड़ना आसान नहीं है. उसके पास हजार हाथ हैं. उसके पास सीबीआई है. मुमकिन है कि वो सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर उन्हें जेल में डलवा दे.”
ऐसा नहीं है कि मुलायम सिंह यादव ने पहली बार सीबीआई के डर को सबके सामने रखा है. वह पहले भी सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं. अब सवाल उठता है कि जब मुलायम को सरकार से इतनी नाराजगी है, तो वो उसे समर्थन क्यों दे रहे हैं? क्यों वह हर बार सरकार की बैसाखी बनकर उसे जीवन दान देते हैं. जवाब में समाजवादी पार्टी की तरफ से इसके पीछे जो मजबूरी बताई जा रही है वह है ‘सांप्रदायिक ताकतों’ को सत्ता से बाहर रखने का वास्ता’.
लेकिन जानकार मानते हैं कि सपा का सरकार को समर्थन देने के पीछे जो मुख्य वजह है वह है सीबीआई का डर. मुलायम सिंह यादव द्वारा बार-बार सीबीआई का जिक्र करना यह दर्शाता है कि समाजवादी पार्टी यूपीए के अन्य सहयोगी दलों के मुकाबले ज्यादा भ्रष्ट है. मुलायम इस समय आय से अधिक संपत्ति मामले में भी फंसे हुए हैं इसलिए उन्हें पता है कि केंद्र सरकार सीबीआई के जरिए उनके उपर मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर सकती है. इसलिए इस समय उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह यूपीए में रह चुके अन्य घटल दलों की तरह से सरकार किनारा कर लें. कमोबेश यही स्थिति बसपा प्रमुख मायावती की भी है. यह दोनों नेता न तो तृणमूल कांग्रेस की तरह सरकार पर सीधे वार कर सकते हैं और न ही डीएमके की तरह समर्थन वापस लेने की धमकी देकर सरकार से पिंड छुड़ा सकते हैं.
इस तरह से मुलायम सिंह सीबीआई के सहारे सरकार की आलोचना करके न केवल उत्तर प्रदेश और देश की जनता में भ्रम पैदा कर रहे हैं बल्कि पार्टी के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं. आखिर जो समाजवादी पार्टी आज कांग्रेस की सरकार को समर्थन दे रही है कुछ महीने बाद वह किस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के विरुद्ध जाकर जनता से वोट मांगेगी उसके लिए यह एक गंभीर मामला बन चुका है.
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