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Deepak Bhardwaj murder mystery: रिश्तों के मकड़जाल में हारी जिंदगी !!

deepak bhardwajअब ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस बसपा नेता व अरबपति बिल्डर दीपक भारद्वाज हत्याकांड में शामिल लोगों को बेनकाब करने के करीब पहुंच गई है. वैसे तो इस मामले में पहले शक की सूई दीपक के करिबियों से लेकर फार्म हाउस पर तैनात गार्डों पर गई. फिलहाल शक की सूई दीपक के छोटे बेटे नितेश भारद्वाज पर टिकी हुई है. पुलिस ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सोमवार देर रात नितेश को हिरासत में ले लिया और लगातार पूछताछ कर रही है. इसके अलावा पुलिस ने मर्डर में इस्तेमाल होने वाला पिस्तौल भी रोहतक की नहर से बरामद कर लिया है. लेकिन अभी पुलिस को दिल्ली की इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस से पर्दा उठाना बाकी है. आइए समझते हैं इस पूरे घटनाक्रम को एक-एक किरदार के साथ.


इनमें हैं महिलाओं के लिए हमदर्दी


कौन थे दीपक भारद्वाज: सोनीपत के एक बेहद साधारण परिवार में जन्म लेने वाले दीपक भारद्वाज डीएवी कॉलेज से प्री मेडिकल परीक्षा पास करने के बाद बीएसएसी अंतिम वर्ष में माइग्रेशन करा सोनीपत के हिंदू कॉलेज चले गए. इसके बाद 1972 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम किया. इस बीच दीपक ने सोनीपत के कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की. उसी कॉलेज में उनकी मुलाकात रमेश कुमारी से हुई. रमेश मूलरूप से शाहबाद डेयरी, दिल्ली की रहने वाली हैं. पढ़ाई के दौरान कॉलेज में ही दोनों के बीच दोस्ती हुई जो बाद में प्रेम विवाह में तब्दील हो गई. इनसे इनको दो बेटे हुए, बड़ा बेटा हितेश और छोटा बेटा नितेश भारद्वाज.


एक क्लर्क से उद्योगपति बनने की अनूठी मिसाल

वर्ष 1969-1976 के बीच दिल्ली सरकार के सेल्स टैक्स विभाग में 700 रुपये वेतन पाने वाले दीपक भारद्वाज स्टेनोग्राफर थे, लेकिन रिश्वत लेने के आरोप में उनकी नौकरी चली गई. इसके बाद उन्होंने पैसे इकट्ठा करके स्टील व्यवसाय और ऑटो पा‌र्ट्स का कारोबार शुरू किया. 1976-77 के बीच दीपक भारद्वाज ने कृषि योग्य जमीनों को खरीदने का काम शुरू किया. दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों में उन्होंने व्यावसायिक घरानों और डेवलपर्स के लिए उद्योग और कॉलोनी बसाने के लिए जमीनें बेचकर मोटा मुनाफा कमाया. इसके बाद दीपक भारद्वाज ने दिल्ली अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड (डीएपीएल) कंपनी शुरू की. यह कंपनी हरिद्वार में टाउनशिप बनाने के अलावा दिल्ली और उत्तर भारत में कई होटल बना रही है.


घरेलू कलह ने किया जीना हराम

दीपक तरक्की की राह पर बढ़ रहे थे. उन्होंने रियल स्टेट का कारोबार काफी बढ़ा लिया था. लेकिन उनकी तरक्की उनके पारिवारिक कलह का कारण बनती जा रही थी. दीपक भारद्वाज की करतूतों की वजह से उनकी पत्नी रमेश कुमारी अलग रहने लगी थीं. जब रमेश कुमारी से पति-पत्नी के संबंधों के बीच की दूरियों के बारे पूछा गया तो पता चला कि दीपक अक्सर कई महिलाओं के साथ देर रात तक नाइट क्लब व डिस्को में पार्टी किया करते थे. लाख समझाने पर भी जब वह नहीं सुधरे तो उन्होंने घर छोड़ दिया. बड़े बेटे हितेश ने भी अपने पिता का घर छोड़ दिया. जबकि छोटा बेटा दीपक का कारोबार संभालता है.


राजनीति में आजमाई किस्मत

अपनी ऐशो-आराम की जिन्दगी के बावजूद भी दीपक तरक्की की सीढिया लगातार चढ़ रहे थे. 2009 लोकसभा चुनाव में भारद्वाज ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़ा था और सबसे रईस उम्मीदवार के रूप में इन्हें प्रसिद्धि मिली थी. इस चुनाव में भारद्वाज ने 600 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी. वर्तमान में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है भारद्वाज की संपत्ति 2000 करोड़ रुपये के करीब होगी.

अपनी अथाह संम्पत्ति होने के कारण दीपक ने कई नए लोगों को अपना दोस्त बनाया तो कईयों को दुश्मन. फिर वह दिन आया जब इसी संम्पत्ति की वजह से कारोबारी दीपक भारद्वाज हत्या कर दी गई. 26 मार्च, 2013 को दक्षिणी दिल्ली के फार्महाउस में दीपक भारद्वाज की दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस ने बताया कि घटना सुबह करीब 9:15 बजे वसंत कुंज स्थित फार्महाउस ‘नितीश कुंज’ में घटी.

इस घटना के बाद कातिलों की तलाश के लिए दिल्ली पुलिस ने अपनी स्पेशल टीम गठित की. इस मामले में पुलिस को फार्महाउस से सीसीटीवी फुटेज भी मिले जिसमें उन हमलावरों की तस्वीरें दिखीं जिन्होंने दीपक की गोली मारकर हत्या की थी. इस फुटेज में दो व्यक्ति हाथ में तमंचा लिए लहराते हुए गेट से बाहर निकल रहे हैं. उनके साथ एक स्कोडा गाड़ी भी थी जिसमें एक ड्राइवर भी बैठा था. प्राप्त हुए इस फुटेज के बाद पुलिस ने धरपकड़ करना शुरू कर दिया.


हत्या में परिजनों के शामिल होने का शक

इसके बाद पुलिस ने दीपक के परिजनों और इस हत्या से संबंधित लोगों से पुछताछ शुरू कर दी. इस मामले में कई लोग सवालों के घेरे में भी आए जिसमे रिजॉर्ट का गार्ड भी शामिल था. इस बीच पुलिस ने उस स्कोडा गाड़ी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया जिसकी गाड़ी को लेकर इन शूटरों ने इस हत्या को अंजाम दिया था. इसके बाद तो स्कोडा कार के ड्राइवर अमित को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस को राजेश ने पूछताछ में बताया कि गोली मारने वाले पहले आरोपी का नाम सुनील है जबकि दूसरे शूटर का नाम पुरुषोत्तम है. पुलिस ने गाड़ी को बरामद कर लिया जबकि वारदात को अंजाम देने के बाद से दोनों सुपारी किलर फरार थे. दिल्ली पुलिस के मुताबिक सुनील और पुरुषोत्तम दिल्ली के ही रहने वाले हैं और दोनों ही सुपारी किलर हैं.


इस बीच पुलिस को खबर मिली कि दीपक भारद्वाज की गोली मारकर हत्‍या करने वाले शूटर पुरुषोत्तम राणा उर्फ मोनू राणा और सुनील कोर्ट में अपनी हत्या के डर से सरेंडर करने जा रहे हैं. पुलिस ने उन्हे कोर्ट में ही गिरफ्तार करने के लिए टीम बनाई. अगले ही दिन जब पुरुषोत्तम जैसे ही कोर्ट पहुंचा सादी वर्दी में मौजूद पुलिसवालों ने उसे धर दबोचा, जबकि सुनील पुलिस को चकमा देकर बचते-बचाते कोर्ट के अंदर जा पहुंचा.


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इस तरह से दिल्ली पुलिस को इस मामले में बड़ी सफलता मिली. अब पुलिस ने इन्हीं शूटरों की सहायता से आगे की जांच शुरू की और इस हत्या का मकसद तथा इसके मास्टर माइंड की तलाश में जुट गई. इसके बाद पूछताछ से दिल्ली पुलिस ने प्रदीप नाम के एक आदमी को हिरासत में ले लिया. बताया जा रहा है कि प्रदीप वही शख्स है जिसने दोनों शूटर्स पुरुषोत्तम और सुनील को वारदात के लिए हथियार मुहैया कराए थे. इसके अलावा पुलिस को उस व्यक्ति की तलाह है जिसने इन दोनों को मर्डर की सुपारी दी थी. पुछताछ में पुलिस को खबर मिली एक एयरलाइंस में पायलट राकेश ने ही दीपक भारद्वाज के कत्ल के लिए एक करोड़ रुपये की सुपारी ली थी. पुलिस का मानना था कि राकेश ही वो आखिरी कड़ी है जिसके हाथ में आने के बाद पुलिस को कई सवालों का जवाब मिल जाएगा. नरेला में रहने वाले राकेश की गिरफ्तार हुए 4 आरोपियों से अच्छी दोस्ती थी. अक्सर ये सभी लोग राकेश के घर पर पार्टी किया करते थे. छोटा-मोटा नहीं, कोई बड़ा अपराध करने की बात कही जाती थी.

इस बीच पुलिस को एक महंत की भी तलाश थी. पूछताछ में आरोपी पुरुषोत्तम ने बताया कि इस हत्याकांड में महंत की भूमिका भी अहम थी. आरोपी राकेश ने ही पुरुषोत्तम को महंत प्रतिभानंद से मिलवाया था. माना जा रहा था कि इसने ही दीपक की हत्या के लिए सुपारी दी थी. महंत की तलाश में दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड और दिल्ली में छापेमारी शुरु कर दी जो अभी तक जारी है.

गिरफ्तारी से बचने के सुपारी देने वाला महंत प्रतिभानंद पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना हुलिया बदल रहा है. सूत्रों की मानें तो प्रतिभानंद लगातार अपना ठिकाना और फोन नंबर भी बदल रहा है पुलिस ने प्रतिभानंद की तीन महिला दोस्तों से इस मामले में पूछताछ की है. इस बीच पुलिस को इस केस में एक नया मोड़ दिखा. पुलिस के मुताबिक हत्या के लिए दरअसल छह करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी. पुलिस का कहना है कि आरोपी महंत प्रतिभानंद महज एक मोहरा है, जबकि साजिश रचने वाला कोई और है. पुलिस को शक है कि मास्टरमाइंड परिवार का कोई करीबी शख्स हो सकता है.

इस तरह से पुलिस धीरे-धीरे उस अपराधी के करीब पहुंच रही है जिसने दीपक भारद्वाज की हत्या की व्यूह रचना रची थी. माना जा रहा है इस हत्या को अंजाम देने वाला और कोई नहीं बल्कि दीपक का छोटा बेटा नितेश भारद्वाज है. पुलिस को संदेह है कि नितेश ने एक वकील के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची थी. फिलहाल अभी भी इस केस पूरी तरह से पर्दा नहीं उठ पाया है लेकिन पुलिस को उम्मीद है कि जल्द इस खेल का मास्टरमाइंड पकड़ा जाएगा.


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दीपक भारद्वाज


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