आजकल ‘सहारा श्री’ के नाम से मशहूर सहारा इंडिया परिवार के अध्यक्ष सुब्रत रॉय काफी चर्चा में हैं क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए उनकी और उनकी कंपनियों की संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया में लगा हुआ है. इसलिए सेबी मुख्यालय के बाहर इस दौरान काफी अफरा-तफरी मची हुई है. वहां बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी सेबी के समक्ष रॉय की पेशी की खबर के लिए एकत्र हुए रहते हैं.
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सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की पेशी
पिछले दिनों सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) के निवेशकों के करीब 24,000 करोड़ रुपये वापस करने के मामले में उनके व्यक्तिगत और कंपनी की संपत्तियों की सेबी द्वारा नीलामी कराए जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है. सुब्रत रॉय को इस मामले में बुधवार को मुंबई में सेबी के मुख्यालय पर तलब किया गया था.
इस मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और समूह के तीन निदेशक अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दुबे और वंदना भार्गव बुधवार को सेबी के सामने पेश हुए. करीब एक घंटे तक चली पूछताछ के दौरान राय और तीनों निदेशकों से उनकी व्यक्तिगत व कंपनियों की संपत्तियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली गई. सेबी ने 26 मार्च को जारी आदेश में राय, अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के लिए कहा था. इस पेशी के बाद रॉय ने पत्रकारों से कहा कि सेबी ने उनकी व्यक्तिगत परिसंपत्तियों के बारे में पूछा.
इससे पहले सेबी ने इन कंपनियों और इनके शीर्ष अधिकारियों को सम्पत्ति और खातों आदि का ब्यौरा 8 अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा था. सेबी ने अपने बयान में कहा था कि यदि सुब्रत रॉय और समूह के ये तीन निदेशक हाजिर न हुए तो वह उनकी अनुपस्थिति में ही सम्पत्तियों की नीलामी की शर्तें तय कर सकता है.
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क्या है पूरा मामला ?
निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनी नियामक संस्था सेबी का आरोप है कि एसआईआरईसीएल और एसएचसीआईएल ने बांड धारकों से 6,380 करोड़ रुपये और 19,400 करोड़ रुपये जुटाए थे. धन जुटाने के लिए कई तरह की अनियमितताएं की गई थीं. फरवरी महीने में सेबी ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी इन दोनों कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगाने के लिए कुर्की के आदेश दिए थे.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में इन कंपनियों को निवेशकों का पैसा 15 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था और सेबी से इस पर निगरानी रखने के लिए कहा गया था. सहारा समूह की अर्जी पर दिसंबर 2012 में ये पैसा तीन किस्तों में लौटाने की छूट दी गई. कोर्ट ने उस समय आदेश दिया था कि सहारा समूह 5,120 करोड़ रुपये तत्काल जमा करे और 10,000 करोड़ रुपये जनवरी के पहले हफ्ते में जमा करे जबकि बाकी राशि फरवरी 2013 के पहले सप्ताह में दे लेकिन कंपनी ने बाकी की किस्तें नहीं जमा कराईं इसलिए सेबी को कोर्ट के आदेशानुसार कुर्की करने के आदेश दिए थे.
सुब्रत रॉय का क्या कहना है ?
बाजार नियामक सेबी के साथ चर्चित विवाद में उलझे सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मानना है कि उन्हें पिछले कुछ वर्ष से उत्पीड़ित किया जा रहा है और इसकी शुरुआत 2005 में राजनीतिक द्वेष की घटना के साथ हुई तथा रिजर्व बैंक और सेबी उनकी कंपनियों के खिलाफ शिंकजा कसने लगे. उनका कहना है कि ”जिन लोगों ने 2005 में सहारा को कुचलने की कोशिश की थी, वे लोग फिर लौट आए हैं. रॉय का कहना है कि सेबी की इस कार्यवाही से कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ रहा है.”
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